सब्द बह्म का रूप है सब्द धरै जब भेष।
मैहर मा एक संत हें पंडित रामनरेश।।
अपना के तेल मा खरी अस जनाथी।
या सम्बेदना मसखरी अस जनाथी।।
जे डबल रोटी का कलेबा करा थें
उनही अगाकर जरी अस जना थी। ।
नेता जी के नाव से उभरै चित्र सुभाष।
अब के नेता लगि रहें जइसा नहा मा फांस।।
बड़े अदब से बोलिये, उनखर जय जय कार।
गांव- गांव मा चल रही , गुंडन कै सरकार।।
चह जेही थुर देंय उइ ,याकी कहैं कुलांच।
नेता जी के नाव से, अयी न कऊनव आंच। ।
कोउ अमीरी से ता कोउ गरीबी से दुखी है।
कोउ दुसमन से ता कोउ करीबी से दुःखी है। ।
काहू का सुख संच हेरे नहीं मिलय
कोउ मिया से ता कोउ बीबी से दुःखी है। ।