बारजा बचा हय ओरिया कहां ही,
पिल्वादा के दूध कै खोरिया कहां ही।
रासन कारड हलाबत तिजिया चली गै,
कोटा बाली चिनी कै बोरिया कहां ही।।
नोकरी लगबामै का कहि के लइ गया तै,
आजादी के अस्वमेघ कै भभूत परी ही ,
लिंकन के लोकतंत्र कै अंजोरिया कहां ही।।
वा प्रदूसन कै पनही पहिरे मुड़हर तक चलागा,
गांव के अदब कै ओसरिया कहां ही ।
घर के सुख संच कै जे जपत रहें माला ,
वा पिता जी कै लाल लाल झोरिया कहां ही।।
हेमराज हंस मैहर