बुधवार, 12 अक्तूबर 2016

पै आँधी से लड़य कै सहूर आय गै।।

बघेली 

भले बगडूरा से घर म धूर आय गै। 
पै आँधी से लड़य कै सहूर आय गै।
लागा थै ओही कुसाइयित  गेरे ही 
या दारी  अलही भर पूर आय गै।
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 बगडूरा =चक्रवात। धूर =धूल। 
कुसाइयित गेरे  =दुर्दिन आना । 
या दारी=अबकी बार। 
अलही =मृत्यु 

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हेमराज हंस 

मंगलवार, 30 अगस्त 2016

bagheli kavita रिमझिम रिमझिम मेंघा बरखै @कवि हेमराज हंस मैहर

पावस कई रीत आई 


रिमझिम रिमझिम मेंघा बरखै
थिरकि रही पुरवाई।
धरती करै सिगार सोरहौ
पावस कै रित आई॥
भरे डवाडब ताल तलइया
कहूं चढी ही बाढ।
एकव वात न लेय किसनमां
जब से लगा अषाढ॥
बोमैं बराहैं नीदै गोड़य
करैं नीक खेतवाई।
रिमझिम.........................
भउजी बइठे कजरी गउतीं
भाई आल्‍हा बांचै।
टिहुनी भर ब्‍वादा मां
गाँवन की चउपालै नाचै॥
करय पपीहा गोइड़हरे मां
स्‍वाती केर तकाई।
रिमझिम.......................
गउचरनै सब जोतर गयीं
ही रखड़उनी मां बखरी ।
धधी सार मां गइया रोउत
खूब बमातीं बपुरी॥
‘‘मइया धेनु चरामै जइहौं''
मचले किशन कन्‍हाई॥
रिम झिम..........................
चउगानय अतिक्रमण लीलगा
लगी गली मां बारी।
मुड़हर तक जब पानी भरिगा
रोमय लाग ओसारी॥
कहिन फलाने खूब फली
पटवारी कर मिताई।
रिमझिम.................
चुंअय लाग छत स्‍कूलन कै
दइव बजाबै ढोल।
एक दउंगरै मां लागत कै
खुलि गै सगली पोल॥
विद्या के मंदिर मां टोरबा
भीजत करै पढाई।
रिमझिम.......................
जब उंइ पउलै लगें म्‍यांड़ ता
लाग खेत का सदमा।
दोउ परोसी लपटें झपटे
हीठै लाग मुकदमा॥
सरसेवाद त कुछू न निकला
HEMRAJ HANS
कैप्शन जोड़ें
करिन वकील लुटाई।
रिमझिम...........................

@कवि हेमराज हंस  मैहर 

bagheli kavita अम्‍मा!हमहूं करब पढाई। kavi hemraj hans

अम्मा !हमहूँ करब पढ़ाई 

अम्‍मा!हमहूं करब पढाई।
हम न करब घर कै गोरूआरू
औ न चराउब गइया।
कह दद्‌दा से जांय ख्‍यात
औ ताकै खुदै चिरइया॥
हम न करब खेतबाई।
अम्‍मा.........................
आज गुरूजी कहिगें हमसे
तु आपन नाव लिखा लया।
पढ लिख के हुशिआर बना
औ किस्‍मत खुदै बना ल्‍या॥
येहिन मां हिबै भलाई।
अम्‍मा..........................
गिनती पढबै पढब दूनिया
बाकी जोड़ ककहरा।
अच्‍छर अच्‍छर जोड़.जोड़ के
बांचब ठहरा ठहरा॥
औ हम सिखब इकाई दहाई।
अम्‍मा.............................
हम न खेलब आंटी डंडा
औ न चिरंगा धूर।
पढब लिखब त विद्या माई
द्‌याहैं हमी शहूर॥
करब देस केर सेवकाई।
अम्‍मा ......................
बहुटा गहन कइ अंउठा
लगा के दद्‌दा कढैं खीस।
देंय बयालिस रूपिया बेउहर
लिखै चार सौ बीस ॥
ल्‍याखा ल्‍याबै पाई पाई।
अम्‍मा हमहूं करब पढाई॥
@कवि हेमराज हंस  9575287490 

सोमवार, 29 अगस्त 2016

बघेली साहित्य bagheli sahitya हेमराज हंस : bagheli kavita अब तुमहूं त कुछ करा खूस। hemraj h...

बघेली साहित्य bagheli sahitya हेमराज हंस : bagheli kavita अब तुमहूं त कुछ करा खूस। hemraj h...: करा खूस  उंइ कहिन आज हमसे घर मां, अब तुमहूं त कुछ करा खूस। देखत्‍या है उनही तिपैं ज्‍याठ, तुम हया जड़ाने मांघ पूस॥ अरे कहूं रोप एकठे बिरब...

RIMHI KAVITA य मनई से वफादार है हमरे देस का कुत्‍ता॥

RIMHI KAVITAरिमही कविता 


एक रोज गदहा काका से कहिस गदहिया काकी।
पकिगा प्‍याट य भारा ढ़ोबत परै भाग मां चाकी॥
हमही परै अजार य  होइ जाय कउनौ अनहोनी।
इसुर य तन लइके  हमही  देय मनई कै जोनी।
यतना सुनतै  गदहा काकू  लगें  खूब अनखांय।
कहिन शनीचर तोहइ चढा है औ चटके ही बाय॥
येहिन से तुम मांगि रह्‌या है वा मनई का क्‍वारा।
जउन बरूद के गड्‌ड मां बइठे होइन भूंजै होरा॥
जे अपने स्‍वारथ मां ढड़कै मिरजापुर कस लोटिया।
पानी पी के चट्‌टय फ्‌ोरै जे पउसरा कै मेटिया॥
जे जात धरम भांषा बोली मां करबाउथें जंउहर।
जे नेम प्रेम भाईचारा से मिलैं न कबहूं जिवभर॥
जे ईटा गारा निता बहामै अपने भाई का रक्‍त।
भले पीलिया केर बेजरहा अस्‍पताल मां मरै बेसक्‍त॥
रक्‍तदान न द्‌याहै ओही भले सड़क का सींचै।
जउन बंदा भगतन से दइअव केर कर्‌याजा हीचै॥
अइसा रूक्ष दुइ गोड़ा गड़इता कै मगत्‍या तुम जोनी।
जे मजूर के खून पसीना कै भख लेय करोनी॥
मनई से नीक ता हमरै जात ही सुना गदहिया रानी।
चुहकै नही अरक्षण कोल्‍हू प्रतिभा केर जमानी॥
लख्‍यन लालू के ढंग का देखे रंझ ही तोहरे जिव का।
पै हम पशु पच्‍छिन के खातिर जीतीं अबै मेंनका॥
तुम गुलाब का सपन न द्‌याखा बना निराला केर कुकुरमुत्‍ता।
य मनई  से वफादार है  हमरे देस का कुत्‍ता॥
...................................... कवि  हेमराज हंस             9575287490 ........................................................

बघेली साहित्य bagheli sahitya हेमराज हंस : bagheli kavita हे महादोगला हे अकही अकहापन कै पूं...

बघेली साहित्य bagheli sahitya हेमराज हंस : bagheli kavita हे महादोगला हे अकही अकहापन कै पूं...:  हे महादोगला हे अकही अकहापन कै पूंजी तुम। हमकरी चेरउरी चुगुलखोर तुम सुखी रहा य देश मां। तुम बइठे नक्‍कस काटा औ सब जन रहै कलेश मां॥ हे अक...