बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : हे !गनपति मोरे देश मा दालिद बचै न शेष। ।: दोहा सुक्ख संच औ शांति का होय अब सिरी गनेश। हे !गनपति मोरे देश मा दालिद बचै न शेष। । हेमराज हंस
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गुरुवार, 17 सितंबर 2015
सोमवार, 14 सितंबर 2015
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : लागै सुआसिन नार य हिन्दी।
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : लागै सुआसिन नार य हिन्दी।: हिन्दी वीर कै गाँथा लगी जो रचैं औ 'जगनिक 'के आल्हा का गायगै हिन्दी। कब्बौ बनी 'भूखन 'कै बानी त वीरन का पानी चढ़ाय गै ...
लागै सुआसिन नार य हिन्दी।
हिन्दी
वीर कै गाँथा लगी जो रचैं औ 'जगनिक 'के आल्हा का गायगै हिन्दी।
कब्बौ बनी 'भूखन 'कै बानी त वीरन का पानी चढ़ाय गै हिन्दी। ।
हाथे परी 'सतसय्या 'के ता वा 'सागर मा गागर 'भराय गै हिन्दी।
बुढ़की लगाइस 'सूर 'के सागर ता ममता मया मा नहाय गै हिन्दी। ।
'रसखान 'के क्वामर क्वामर छन्द औ मीरा के पद काही ढार गै हिन्दी।
भक्ति के रंग मा लागी रंगै तब भाषा लोलार पिआर भै हिन्दी। ।
बीजक साखी कबीर के व्यंग्य पाखण्डिन का फटकार गै हिन्दी।
औ मासियानी मा तुलसी के आई ता 'मानस 'अगम दहार भै हिन्दी। ।
हिंठै लगी जब 'पंत 'के गाँव ता केत्ती लगै सुकुमार य हिन्दी।
हरिचंद ,महावीर ,हजारी ,के त्याग से पुष्ट बनी दिढ़वार य हिन्दी। ।
निराला ,नागार्जुन ,के लेखनी मा भै पीरा कै भ्याटकमार य हिन्दी।
रात जगी जब ''मुंशी ''के साथ ता हरिया का भै भिनसार य हिन्दी। ।
भारत माता के कण्ठ कै कण्ठी औ देस कै भाषा लोलार हिन्दी।
लोक कै बोली औ भाषा सकेल के लागै विंध्य पहार य हिन्दी। ।
छंद ,निबंध ,कहानी,औ कविता से लागै सुआसिन नार य हिन्दी।
अपने नबऊ रस औ गण शक्ति से कीन्हिस सोरहव सिगार य हिन्दी। ।
हेमराज हंस
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : सलेण्डर के आगी मा राख नही निकरै।
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सोमवार, 7 सितंबर 2015
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सलेण्डर के आगी मा राख नही निकरै।
मुक्तक
सलेण्डर के आगी मा राख नही निकरै।
बर्रइया के छतना मा लाख नही निकरै। ।
जनता कराहा थी भ्रष्टाचार से
औ नेतन के मुँह से भाख नही निकरै। ।
हेमराज हंस
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