शुक्रवार, 21 अगस्त 2015

बघेली साहित्य हेमराज हंस : हमने देखा आँख से उसका होते नाश। ।हेमराज हंस -

बघेली साहित्य हेमराज हंस : हमने देखा आँख से उसका होते नाश। ।हेमराज हंस -: दोहा  धर फूलों के बीच में जिसने ठोकी फ़ांस।  हमने देखा आँख से उसका होते नाश। ।  हेमराज हंस --9575287490

छुरा घोंपते पेट में चढबाते परसाद। हेमराज हंस

दोहा 

छुरा घोंपते पेट में चढबाते परसाद। 

जैसे लेखनी पूजता हो कोई जल्लाद। । 

हेमराज हंस --9575287490

हमने देखा आँख से उसका होते नाश। ।हेमराज हंस -

दोहा 

धर फूलों के बीच में जिसने ठोकी फ़ांस। 
हमने देखा आँख से उसका होते नाश। । 
हेमराज हंस --9575287490 

बघेली साहित्य हेमराज हंस : kavi hemraj hans-हाथे मा मेहदी लगी रचा महाउर पाँव।...

बघेली साहित्य हेमराज हंस : kavi hemraj hans-हाथे मा मेहदी लगी रचा महाउर पाँव।...: दोहा  हाथे मा मेहदी लगी रचा महाउर पाँव।  सावन मा गामै लगा कजरी सगला गाँव। ।  हेमराज हंस -9575287490

kavi hemraj hans-हाथे मा मेहदी लगी रचा महाउर पाँव।

दोहा 

हाथे मा मेहदी लगी रचा महाउर पाँव। 
सावन मा गामै लगा कजरी सगला गाँव। । 
हेमराज हंस -9575287490 

बुधवार, 19 अगस्त 2015

बघेली साहित्य हेमराज हंस : bagheli kavi hemraj hans -उई '' सभ्भदारन ''का जाक...

बघेली साहित्य हेमराज हंस : bagheli kavi hemraj hans -उई '' सभ्भदारन ''का जाक...: मुक्तक  जन सेवक चाही सुभाव से गभुआर अस।  जे सबका देखै संबिधान के सरकार अस। ।  उई '' सभ्भदारन ''का  जाके  बता द्या  ...

बघेली साहित्य हेमराज हंस : bagheli kavita hemraj hansरिम झिम रिम झिम मेघा बरख...

बघेली साहित्य हेमराज हंस : bagheli kavita hemraj hansरिम झिम रिम झिम मेघा बरख...: पावस कै रित आई  रिम झिम रिम झिम मेघा बरखै ,  थिरकि रही पुरवाई। धरती ओडिस हरियर चुनरी पावस कै रित आई। ।  भरे दबादब ताल तलैया कहूँ चढ़ी...

bagheli kavita hemraj hansरिम झिम रिम झिम मेघा बरखै , थिरकि रही पुरवाई।

पावस कै रित आई 

रिम झिम रिम झिम मेघा बरखै , थिरकि रही पुरवाई।
धरती ओडिस हरियर चुनरी पावस कै रित आई। । 
भरे दबादब ताल तलैया कहूँ चढ़ी ही बाढ़। 
एकव वात न लेय किसनमा जब से लगा असाढ़। । 
बोबै बिदाहै रोंपै नीदै करै नीक खेतवाई। ।  

भउजी  बइठे कजरी गौती भाई आल्हा बाँचै। 
टिहुनी भर ब्वदा मा गाँवन की चौपालै नाचैं। । 
करै पपीहा गोइड़हरे मा स्वाती केर तकाई। । 
रिम झिम  रिम झिम मेघा बरखै थिरकि रही पुरवाई। । 

गऊ चरनी सब जोतर गईं ही रखड़उनी मा बखरी। 
धधी सार मा गइया रोमै खूब बमाती बपुरी। । 
''मैया धेनु चरामै जइहव ''मचले किशन कन्हाई। 
रिम झिम  रिम झिम मेघा बरखै थिरकि रही पुरवाई। । 

चउगानन का अतिक्रमन लील गा लगी गली मा बारी। 
मुड़हर तक जब पानी भरिगा रोमै लाग ओसारी। । 
हंस कहिन की खूब फली  सरपंचन केर मिताई। 
रिम झिम  रिम झिम मेघा बरखै थिरकि रही पुरवाई। । 

चुअय लाग छत स्कूलन कै दइव बजाबै ढोल। 
एक दउगरै मा लागत कै खुल गै  सगली पोल। । 
विदया के मंदिर मा टोरबा भींजत करैं पढ़ाई। 
रिम झिम  रिम झिम मेघा बरखै थिरकि रही पुरवाई। ।   

जब उई पउलै लगें मेंड़ त ख्यात का लगिगा सदमा।
दोउ परोसी लपटें झपटें हिंठै लाग मुकदमा। । 
सर सेवाद ता कुछू न निकला करिन वकील लुटाई। 
रिम झिम  रिम झिम मेघा बरखै थिरकि रही पुरवाई। 
हेमराज हंस --9575287490   












     

शनिवार, 15 अगस्त 2015

bagheli kavi hemraj hans -उई '' सभ्भदारन ''का जाके बता द्या

मुक्तक 

जन सेवक चाही सुभाव से गभुआर अस। 
जे सबका देखै संबिधान के सरकार अस। । 
उई '' सभ्भदारन ''का  जाके  बता द्या 
सदन माही रहबा करैं गाँव के भुइयार अस। । 
हेमराज हंस   9575287490 

शुक्रवार, 14 अगस्त 2015