फगुनहटी बयार ( बघेली मा)
चलै मस्त बयार पिआर लागै ,महकै महुआ अस देह के फागुन।
सरसो निकरी पहिरे पियरी औ सुदिन सेँधौरा के नेह के फागुन। ।
जब काजर से मेहदी बोलिआन ता घूँघट नैन मछेह के फागुन।
औ लाजवंतीव डीठ लागै जब रंग नहाय सनेह के फागुन। ।
2
आसव करहा नौती कड़बा ता गामै लगा अमराई मा फागुन।
हाथी अस चाल चलै जब गोरी ता महकै हाथ कलाई मा फागुन।।
गाल मा फागुन चाल मा फागुन औ गमकत पुरवाई मा फागुन।
देस निता जे निछावर बीर ता भारत के तरुणाई मा फागुन। ।
3
रंग मा फागुन भंग मा फागुन उमंग उराव के कस्ती मा फागुन।
मस्ती मा फागुन बस्ती मा फागुन मिल्लस बाली गिरस्ती मा फागुन।।
दीन दुखी के मढ़ैया से लइके कोठी हवेली औ हस्ती मा फागुन।
य मंहगाई मा होरी परै कुछु आबै सह्वाल औ सस्ती मा फागुन। ।
कवि- हेमराज फलाने