बुधवार, 11 मार्च 2015

हम भी चोर है तुम भी चोर हो।

दोहा 

हम भी चोर है तुम भी चोर हो। 
तब काहे का व्यर्थ शोर हो। । http;//baghelisahitya.com
दबी रहन दो उस फाइल को 
जिसमे नैतिकता की भोर हो। । 

हेमराज हंस 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें