रविवार, 29 मार्च 2015

कविता

कविता 


वाह रे बुद्धिजीवी। 
२६ रु में नाप दी थी गरीबी। । 
जब गरीबो की लगी श्राप। 
तो कराने लगे
 महामृत्युंजय  का जाप। । 
            
हेमराज हंस 

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