BAGHELI बघेली RIMHI RACHNA रचना का संगम
जनता कइ दीन्हिस यतर, सगले भड़बा छूंछ ।
कोऊ मुँह काला करय, कोउ मुड़ाबय मूंछ।।
✍️हेमराज हंस ✍️
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