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सोमवार, 29 जून 2020
असाढ का एक दिन
घटना 29जून 2020 की है। एक किसान राधेकिसन अपने खेत मे धान की नर्सरी लगा रखा था।
उसके खेत के आस पास तीन और किसानों की धान की नर्सरियां लगी हुई थी। गाँव में प्रायः अन्ना मवेशी घूमते रहते हैं। उस दिन भी मवेशी घूम रहे थे। राधेकिसन पशुओं को खेतों से दूर करने के इरादे से उन्हे भगाने की कोशिश कर रहे थे। तभी एक किसान शराब के नशे मे धुत्त आया और राधेकिसन को गरियाने लगा कि मेरे खेत मे पशु लाकर छोड़ दिया है। इसी को कहते हैं होम देते हाथ जले
शनिवार, 27 जून 2020
शनिवार, 20 जून 2020
रविवार, 24 मई 2020
बिजली का बिल
दइया नाहर बिजली का बिल मोरे बप्पा रे।
जइसा घर मा खुली होय मिल मोरे बप्पा रे।।
नीक रहें उंई गनी गरीबन काही ता झउखिन
ईं निरदइयन का पाथर दिल मोरे बप्पा रे।।
बुधवार, 22 अप्रैल 2020
फलाने कहाथें
फलाने कहाथें कि रबइया ठीक नहीं।
कुरसी का दोख है कि बइठइया ठीक नहीं।।
अमाबस के रात मा उंइ हेरात हें चांदनी
औ ऊपर से कहा थें कि जोंधइया ठीक नहीं।।
रविवार, 5 अप्रैल 2020
हे माधव मधुसूदन मोहन
हे माधव मधुसूदन मोहन नटवर कृष्ण कन्हैया। पुनः अवतरो आर्य अवनि में आकांक्षित भारत मैया।।
कंस पातकी दंश से अपने करता धर्म विध्वंस।
वसुदेव देवकी सी जनता है त्रस्त यहां यदुवंश।।
शिशुपाल स्वर ताल मिला कर पुनः दे रहा गारी।
पुनः काटिये उसकी गर्दन चक्र सुदर्शन धारी।। वंचक विष के वचन बोल कर बजबा रहा बधैया।।
हे माधव मधुसूदन मोहन नटवर कृष्ण कन्हैया।।
जो वलिष्ट औ शिष्ट बनाती निज विशिष्ट पय से।
वो परम पूज्य गौ माता सहमी बूचड़ के भय से।।
भारत माता सी वंदनीय जो गाय रही गोपाल।
उसी देश की माटी में होती है गऊ हलाल।।
रभा रभा कर तुम्हें टेरती वही तुम्हारी गैया।
हे माधव मधुसूदन........... .....................।।
सड़कों मे लुट रही द्रोपदी करे आप से अर्ज।
कटी अनामिका की पट्टी का पुनः उतारो कर्ज।।
दामों मे बिक गया सुदामा बन वैभव का दास। कर्म योग वैराग्य ज्ञान की आके रचाओ रास।।
फिर से प्रीत पुनीत जगा दो गा के ता ता थैया।।
हे माधव मधुसूदन........................ ......।।
रविवार, 29 मार्च 2020
भेद जलाइए
वेदों को जलाने की बात करते हैं श्रीमान।
जिसने आपको पशु से बनाया इंसान।।
यदि जलाने की ही जिद है तो शौक से जलाइए।
और अपने देश का कचरा हटाइए।।
पर वेदों को नहीं बल्कि भेदों को।।
15 और पचासी के।
कावा और काशी के।।
अल्लाह भगवान का।
गीता और कुरान का।।
आरक्षण के भक्षक का।
शेषनाग और तक्षक का।।
ऊंच और नीच के।
मरु और कीच के।।
विषमता और समता का।
नेता और जनता का।।
अपनी पराई का।
ननद भौजाई का।।
कोलार और धनबाद का।
पूंजी मार्क्स वाद का।।
पूरा देश होगा साथ मे।
हाथ लिए हाथ में।।
जलाने के लिए यहा क ई भाव भेद हैं।
सैकड़ों कुरीतियां हैअगणित लवेद हैं।।
विकृतियाँ हटाना इस देश से जरूरी है।
पर वेद बिना भारत की कल्पना अधूरी है।।
वेदों के बिना अपनी सभ्यता का खात्मा है।
वेद अपने भारत के संस्कृति की आत्मा है।।
हेमराज हंस भेड़ा
६/६/१९९७
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