बुधवार, 30 दिसंबर 2015

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : चढ़ी ही धन्ना सेठी भाई।।

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : चढ़ी ही धन्ना सेठी भाई।।: पकडे रहा मुरेठी भाई।  चढ़ी ही धन्ना सेठी भाई। ।  आन के बहिनी बिटिया कही  उइं मारा थें सेटी भाई। ।  जो जोरई कै दबा न डरिहा  सब खा ल्या ह...

चढ़ी ही धन्ना सेठी भाई।।

पकडे रहा मुरेठी भाई। 
चढ़ी ही धन्ना सेठी भाई।। 
आन के बहिनी बिटिया कही 
उइं मारा थें सेटी भाई। । 
जो जोरई कै दबा न डरिहा 
सब खा ल्या है घेटी भाई। । 
नेता हार लगाबै ल्याखा 
को को लइ गा पेटी भाई। । 
 खूब किहिन्  मस्ती कलेज मा
आय गें एटी केटी भाई। । 
तुम सब आपन दुःख कहि डॉरय 
ओही लाग पुनेठी भाई। । 
सबै पालटी हइ दगाहिल 
को लहुरी को जेठी भाई। । 
हेमराज हँस 
   

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : बड़ा अमारक जाड़ है ठठुरा है परधान।

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : बड़ा अमारक जाड़ है ठठुरा है परधान।: बघेली दोहा  बड़ा अमारक जाड़ है ठठुरा है परधान।  उइं बिदुराती हईं कह 'दुइ रूई 'का उपखान। ।  । । हेमराज हँस । । 

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : कोऊ लहुर बनै का तयार नहि आय। हेमराज हँस

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : कोऊ लहुर बनै का तयार नहि आय। हेमराज हँस: कोऊ लहुर बनै का तयार नहि आय।  चल चली हेन प्रेम कै बयार नहि आय। ।  उनखे घर मा संगमरमर जड़ा है  मिर्रा के घर मा मयार नहि आय। ।  हेमराज हँस...

कोऊ लहुर बनै का तयार नहि आय। हेमराज हँस

कोऊ लहुर बनै का तयार नहि आय। 
चल चली हेन प्रेम कै बयार नहि आय। । 
उनखे घर मा संगमरमर जड़ा है 
मिर्रा के घर मा मयार नहि आय। । 
हेमराज हँस

सोमवार, 28 दिसंबर 2015

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : बड़ा अमारक जाड़ है ठठुरा है परधान।

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : बड़ा अमारक जाड़ है ठठुरा है परधान।: बघेली दोहा  बड़ा अमारक जाड़ है ठठुरा है परधान।  उइं बिदुराती हईं कह 'दुइ रूई 'का उपखान। ।  । । हेमराज हँस । । 

बड़ा अमारक जाड़ है ठठुरा है परधान।

बघेली दोहा 
बड़ा अमारक जाड़ है ठठुरा है परधान। 
उइं बिदुराती हईं कह 'दुइ रूई 'का उपखान।। 
। हेमराज हँस ।  

शनिवार, 19 दिसंबर 2015

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : bagheli sahitya पहिले लोकतन्त्र का गुंडन से बचाबा...

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : bagheli sahitya पहिले लोकतन्त्र का गुंडन से बचाबा...:            बघेली मुक्तक   पहिले लोकतन्त्र का गुंडन से बचाबा।  ओही माहुर भरे कुण्डन से बचाबा। ।  गुतका औ चुम्मा का खेल जनता देखा थी  देस...

bagheli sahitya पहिले लोकतन्त्र का गुंडन से बचाबा।

           बघेली मुक्तक 
 पहिले लोकतन्त्र का गुंडन से बचाबा। 
ओही माहुर भरे कुण्डन से बचाबा।। 
गुतका औ चुम्मा का खेल जनता देखा थी 
देस का पाखण्डी पण्डन से बचाबा। । 
हेमराज हँस