बढ़य लाग जब धरा मा, अधरम अत्याचार।
तब धरती बन के गऊ, प्रभु कै करिस पुकार।।हेमराज हंस
जाति बाद के मथरे परंगत नहीं परै।
राबन के बहकाये मा अंगद नहीं परै।।
चाह जउन जात के होंय नेता जी
पै गरीबन के साथ उनखर पंगत नहीं परै।।
हेमराज हंस
केबल हबै चुनाव तक, जातिबाद का ढोंग।
जनता ही उनखे निता , चेचर अउर चिपोंग।।
अपने छाती हाथ धर, खुदै करा महसूस।
को ठीहा मा बइठ के, लिहिस न जात से घूंस।।
हेमराज हंस
सूरज नेता बिस्व का, सबका दे उजिआर।
पै उल्लू गरिआ रहें, उनही रात पिआर।।
हेमराज हंस
हाथे माही पकडे माउस।
पूरी दुनिया हमी देखाउस।।
मरिगा बाबा अंधियारे मा
बनाथै नाती पवार हाउस ।।
हेमराज हंस
अबै ता चीन्हय दूर से, जाति बाद का जिंद।
फेर चुनाव के बाद मा , उनखे मोतियाबिंद।।
हेमराज हंस
सगले उल्लू समिट के, दिन का कहैं कुलांच।
कहिन कि अब हमहूं करब, सुरिज के रथ कै जाँच।।
हेमराज हंस