दुनिआ मा हो शान्ती, हे ! माता स्कंद।
हे ! दुरगा दुरगति हरा, बाढ़य प्रेम आनंद।।
गुँजय मइहर धाम मा ,भगत ऋचा श्लोक।
हरतीं मइया सारदा, भक्त के संकट सोक। ।
@ हेमराज हंस
श्रद्धा औ संगीत का, सपना भा साकार।
नल तरङ्ग संतूर संग, बाजैं लाग सितार।।
हेमराज हंस
मइहर घोसित भा जिला, जनता करै उराव।
पांच सितंबर लिख दइस, स्वर्णाक्षर मा नाव।।
गदगद मइहर धाम है, पूर भा मन कै टेक ।
मेघा बरखें झूम के दइव करै अभिषेक। ।
हेमराज हंस
भारत का जब सफल भा,चन्द्रयान अभियान।