ठाँव ठाँव देखय मिली , एक घटना दुइ भाव।।
पै ओखर हितुआ लगें, रोबैं डिडड पुकार।।
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भइंस अबै बिआन नही उई सोंठ ख़रीदा थे।
लिपिस्टिक लगामै का ओंठ ख़रीदा थे।।
जउन भ्रष्टाचारी जमानत मा छूट हें
ओऊं ईमानदारी कै ओट ख़रीदा थें ।।
सब आपन आपन दाग मूंदय मा लगें हें
जे नेत के कच्चे हें उइं लगोट ख़रीदा थें ।।
जउन दल बइठान लये हें बाम पंथ अस
उइ पुन के ठाढ़ होय का अखरोट ख़रीदा थें ।।
दुनिया के सबसे बड़े लोक तंत्र मा
हंस एकठे ''बोतल '' मा वोट ख़रीदा थे। ।
हेमराज हंस-- भेड़ा मइहर
गाँव -गाँव बोबा जबा पंडा दे थें हूम।
लोक धरम कै देस मा चारिव कईती धूम। ।
बाना खप्पड़ कालका जबा देवारे हांक।
बिन प्रचार के चल रही लोक धर्म कै धाक। ।
आठैं अठमाइन चढ़ै खेर खूंट का भोग।
जलसा का कलसा धरे ''राम जनम का जोग ''। ।
कोउ बाहर कोउ अन्दर होइगा।
दानव देव केउ मंदर होइगा।।
हमरे घर के आगी का
बदला नाव बैसुन्दर होइगा।
जे आने का हड़पिस हीसा
ओही आज भगन्दर होइगा। ।
बन गा सोने का मृग मामा
औ साधू दसकंधर होइगा। ।
पुन के छली जई अब बृन्दा
जोलाहल खूब जलंधर होइगा। ।
चुहकै 'हंस' ख़ून जनता का
उनखर पेट सिकंदर होइगा। ।
हेमराज हंस
कालनेमि पुन देश मा, रचे हें मायाजाल।
जनता कै रक्षा करा, हे अंजनि के लाल।।
@हेमराज हंस