रविवार, 12 मार्च 2023

उइ गरीबन के निता हबाई अड्डा बनाउथें

हमार   जुग  आन    रहा   दद्दा   बताउथें। 
ईं  ता   कथरी   फार   के  गद्दा  बनाउथें।। 
अपना उनखे ऊपर बिल्कुल  सक न करी
उइ गरीबन के निता हबाई अड्डा बनाउथें। ।  
             @हेमराज हंस 

 

 

सोमवार, 6 मार्च 2023

रविवार, 5 मार्च 2023

कासे होय न भूल

भमरा तक सूंघय लगा अब  चम्पा का फूल। 
अइसा मउसम मा भला कासे होय न भूल।।
 
ठूठन मा फुटकी कली यतरन आबा जोस।
तन कै हालत देखि के मन का रह्यान मसोस ।।
 
 


जली आग मा होलिका बचें भक्त प्रह्लाद

भाई चारा  मा रगा , चला लगाई रंग। 
अपने भारत देस मा बाढय प्रेम उमंग।। 
 
अकहापन  औ  इरखा राई चोकरा नून। 
होरी मा जरि जाय सब बैर बिरोध कै टून।।
 
सुखी संच माही रहय आपन भारत देस। 
प्रेम पंथ प्रहलाद का न कोउ देय कलेस। । 
 
अंग अंग पूंछय लगा मन मा लिहे मिठास। 
कबै अयी  वा सुभ घरी जब टूटी उपबास। । 
 
कथा पुरानन कै हमी दीन्हे ही मरजाद। 
जली आग मा होलिका बचें भक्त प्रह्लाद। । 
 
खेतन मा पाकै  फसल घर मा आबै अन्न। 
होरी परब मनाय के खेतिहर लगैं प्रसन्न। । 
 
 

फागुन

चलै मस्त बयार पियार लगै महकै महुआ अस देह के फागुन
राई निकरी पहिरे पियरी तब सुदिन से्ंधउरा के नेह के फागुन।।
जब काजर से मेंहदी बोलियान ता घूंघट नैन मछेह के फागुन।
औ लजबंतिव ढ़़ीठ लगै जब रंग नहाय सनेह के फागुन। ।
आसव करहा नउती कड़बा ता गामैं लगा अमराई मा फागुन।
हांथी के चाल चलै लजवंती ता महकै हाथ कलाई मा फागुन। ।
गाल मा फागुन चाल मा फागुन औ गमकत पुरबाई मा फागुन।
देस निता जे शहीद भें बीर त भारत के तरुनाई मा फागुन। ।
मस्ती मा फागुन बस्ती मा फागुन मिल्लस बाली गिरस्ती मा फागुन।
दीन दुखी के मढ़इया से लइके कोठी हवेली औ हस्ती मा फागुन। ।
रंग मा फागुन भंग मा फागुन उमंग उराव के कस्ती मा फागुन।
य महगाई मा होरी परै कुछ आबै सह्वाल औ सस्ती मा फागुन। ।
 
जिनखे घरै न बरै चुल्हबा, है उनखे निता उपचीर या फागुन। 
ढोल मजीरा नगरिया बजाय, करै मन कदाइला का थीर या फागुन। ।  
मिल्लस केर अबीर लगय जब देस जनाय कबीर या फागुन। 
प्रेम के रंग मा देस रंगी जब  , उन्नत देस का नीर या फागुन। ।  
 
सखी ! जबसे बसें परदेस पिआ तब से मन रोज उबान रहै। 
औ फागुन आबा अकारथ ता तन एकव न ग्यान गुमान रहै।।  
रंग का नेह लगै जब देह ता मन अनमन फ़गुआन रहै।
उइ होतें जो नेरे इहै कहतें ससुरार रहय सडुआन रहै। । 
 
बुढ़ऊ ता रंग गुलेल रचें हय उनखर भाग अनुराग ता देखा। 
भर पिचकारी चलाबत सारी औ जीजा से खेलत फ़ाग ता देखा। । 
औ गाले अबीर मल्हय  सरहज ननदोई बना है काग ता देखा। 
भारत कै हमरे परिपाटी औ रिस्ता नाता कै पाग ता देखा। । 
@हेमराज हंस भेड़ा मइहर  

 

 
 
 
 
 

शनिवार, 4 मार्च 2023

औ मइहर के भाग मा बोलब बदा कबीर

 मऊगंज बनिगा  जिला उड़ै गुलाल अबीर ।
औ मइहर के भाग मा बोलब बदा कबीर। । 

केतू अउर निहुरी अगस्त

केतू  अउर निहुरी अगस्त लहकै लाग है कन्हिहा। 
निहुरे निहुरे बिंध्य का हमरे जकड लइस ही पनिहा। । 
राबन   मरा   बधाई   हमरिव   मुनिबर  अपना  का 
पै देस के खातिर हमरे त्याग का केतू दिन मा गनिहा। । 
 



जिला बनिगा मऊगंज।

 बधाई जिला बनिगा  मऊगंज।
अब बिकास का खिली कंज। ।
जिव निछोह के किहिस तरोगा
तउ  मइहर  का  रहिगै  रंझ। ।
             हेमराज हंस

जबसे हमरे बिंध्य कै शान चली गै।

जबसे   हमरे  बिंध्य  कै  शान  चली गै। 
आने   के हाथ  मा कमान  चली   गै।। 
हमार कुअंर साहेब परलोक का सिधारें
तब से हमार रास्टीय पहिचान चली गै।। 

 

 

चला फलानिया दारू बेंची।

चला फलानिया दारू बेंची। 
नदिया  खोदी  बारू  बेंची। । 
हरिशचन्द के देस के आह्यन 
लड़िका औ मेहरारू बेंची। । 
@हेमराज हंस भेड़ा मइहर