रविवार, 25 सितंबर 2022

मइहर

 जहां बिराजीं सारदा धन्न मइहर कै भूम।                                                                                                                 भक्तन का तांता लगा नाचत गाबत झूम।। 

जहाँ बिराजीं शारदा धन्न  मइहर का भाग। 

बंदूखै तक बन गईं नल तरङ्ग का राग।।   


                                                                                                     

माता जू किरपा किहिन बइठीं आके कंठ।                                                                                                           तब कविता गामैं लगा हेमराज अस लंठ।।


बघेली साहित्य bagheli sahitya हेमराज हंस : आपन बोली

बघेली साहित्य bagheli sahitya हेमराज हंस : आपन बोली: महतारी अस लगै मयारू घूंटी साथ पिआई। आपन बोली बानी लागय मानस कै चौपाई।।  भांसा केर जबर है रकबा बहुत बड़ा संसार।  पै अपने बोली बानी कै अंतस तक...

शनिवार, 24 सितंबर 2022

र्याज कै चिंता ही

काहू का ब्याज कै चिंता ही।
काहू का प्याज कै चिंता ही।।
करजा मा बूणे किसान का
।।र्याज कै चिंता ही

हे !प्रिय मित्र अशोक


 विंध्य रतन शत शत नमन हे !प्रिय मित्र अशोक
हे  साहित्य  के  हास  रस अपना दीन्ह्यान सोक। ।

निठमोहिल बिउहार।

अस छरकाहिल मनई भा निठमोहिल  बेउहार।
अब  ता  कारिव  के  परे  हिरकै  नहीं   दुआर।।  

उनखे नजर मा

उनखे नजर मा दुइ देस भक्त असली ।
एक ता अतंकबादी दूसर नक्कसली। ।
दूनव के मरे उंइ कपार धरे रोबा थें
जइसा उजरिगा होय खेत दुइ फसली।।

 

महतारी के हाथ कै जइसा परसी थाल

मघा नखत बदरी करय धरती का खुशहाल।
महतारी  के  हाथ  कै  जइसा  परसी  थाल।।  


ऊपर दउअय रुठि गा औ नीचे दरबार।
धरती पुत्र किसान कै को अब सुनै गोहर। । 

देस ओखे बाप का है।।

 

कुरथा जेखे नाप का है।
देस ओखे बाप का है।।
अपना के हांथे मा बोट
बांकी लाठी छाप का है।।

रोटी केर जुगाड़

 धन्ना  सेठन  के  निता  गर्मी बरखा जाड़।
हमही एक मउसम हबै रोटी केर जुगाड़। । 


कउड़ा के नियरे संघर अपना सेकी देह।
हम धांधर के आग का लिखी उरेह उरेह।। 

फसलन मा पाला लगा परी ठंड कै मार।
भितरघात मउसम करै खेत कहै आभार।।

शुक्रवार, 23 सितंबर 2022

मस्त माल है।

 

देस मा चारिव कइती दहचाल है।
फुर फुर बताबा का अपना का मलाल है।।
दिल्ली अपने मन कै बात बाँचा थी
कबहूँ नहीं पूछिस कि देसका का हाल है। ।
कूकुर के चाबे मा भोंका थी मीडिआ
गऊशाला नहीं झांकै की भूसा पुआल है। ।
सरकारी दफ्तर मा घूंस बिना काम नहीं
हर कुरसी पाले एकठे दलाल है। ।
हमरे संस्कार का येतू पतन भा
वा बहिनी बिटियन का कहाथै मस्त माल है। ।