शुक्रवार, 23 सितंबर 2022

अपना विन्ध प्रदेश।

जब तक मिल जाता नहीं अपना विन्ध प्रदेश।
गंगा अजीज चिंतालि को श्रद्धांजलि है शेष।।
 

जब से आपन गाँव।

शहर मा जाके रहय लाग जब से आपन गाँव।
भरी दुपहरी आँधर होइगै लागड़ होइ गै छाँव। ।
गाँवन कै इतिहास बन गईं अब पनघट कै गगरी।
थरी कोनइता मूसर ज्यतबा औ कांडी कै बगरी। ।
गड़ा बरोठे किलबा सोचइ पारी आबै माव ।
हसिया सोचै अब कब काटब हम चारा का ज्यांटा।
सोधई दोहनिया मा नहि बाजै अब ता दूध का स्यांटा। ।
काकू डेरी माही पूंछै दूध दही का भाव।
दुर्घट भै बन बेर बिही औ जामुन पना अमावट।
''राजनीत औ अपराधी ''अस सगली हाट मिलावट। ।
हत्तियार के बेईमानी मा डगमग जीवन नाँव।
जब से पक्छिमहाई बइहर गाँव मा दीन्हिस खउहर।
उन्हा से ता बाप पूत तक करै फलाने जउहर। ।
नात परोसी हितुअन तक मां एकव नही लगाव।
कहै जेठानी देउरानी के देख देख के ठाठ ।
हम न करब गोबसहर गाँव मा तोहरे बइठै काठ। ।
हमू चलब अब रहब शहर मा करइ कुलाचन घाव।
नाती केर मोहगरी ''आजा'' जुगये आस कै बाती।
बीत रहीं गरमी कै छुट्टी आयें न लड़िका नाती। ।
खेर खूंट औ कुल देउतन का अब तक परा बधाव।
ममता के ओरिया से टपकें अम्माँ केर तरइना।
फून किहिन न फिर के झाँकिन दादू बहू के धइन.। ।
यहै रंझ के बाढ़ मां हो थै लउलितियन का कटाव।
शहर मा जाके ----------------------------------------
हेमराज हंस --9575287490

 

पंडित रामनरेश

सब्द बह्म का रूप है सब्द धरै जब भेष।
मैहर मा एक संत हें पंडित रामनरेश।।

खेत कहै आभार

 फसलन मा पाला लगा परी ठंड कै मार।
भितरघात मउसम करै खेत कहै आभार।।

अपना के तेल मा

 अपना के तेल मा खरी अस जनाथी।
या सम्बेदना मसखरी अस जनाथी।।
जे डबल रोटी   का  कलेबा करा थें
उनही अगाकर जरी अस जना थी। ।

टोरिया कहां ही

 

बारजा बचा हय ओरिया कहां ही,
पिल्वादा के दूध कै खोरिया कहां ही।
 
रासन कारड हलाबत तिजिया चली गै,
कोटा बाली चिनी कै बोरिया कहां ही।।
 
नोकरी लगबामै का कहि के लइ गया तै,
वा गरीब कै बड़मंसी टोरिया कहां ही ।
 
आजादी के अस्वमेघ कै भभूत परी ही ,
लिंकन के लोकतंत्र कै अंजोरिया कहां ही।।
 
वा प्रदूसन कै पनही पहिरे मुड़हर तक चलागा,
गांव के अदब कै ओसरिया कहां ही ।
 
घर के सुख संच कै जे जपत रहें माला ,
वा पिता जी कै लाल लाल झोरिया कहां ही।।
हेमराज हंस मैहर

विवेका नंद

 

पूज विवेकानंद मा है भारत का गर्व।
उनखे बसकट मा रमा जुवा दिवस का पर्व।।
रचिन विवेकानंद जी एक नबा इतिहास।
भारत केर महानता का बगरा परकास।।
जुरे शिकागो मा रहें दुनिया के बिद्वान।
एक सुर मा ब्वालैं लगें जय जय हिन्दुस्तान।।
चाह शंकराचार हों चाह विवेका नंद।
भारत के जसगान का रचिन ऋचा औ छंद।।

बड़े अदब से बोलिये,

 नेता   जी  के  नाव  से  उभरै  चित्र  सुभाष।
अब के नेता लगि रहें जइसा नहा मा  फांस।। 

बड़े अदब से बोलिये, उनखर जय जय कार।
गांव- गांव  मा  चल  रही , गुंडन कै सरकार।।

 
चह जेही थुर देंय उइ ,याकी कहैं कुलांच।
नेता जी के नाव से, अयी न कऊनव आंच। ।  

हंस कहै बिद्वान

 चुटकी भर के ज्ञान का झउआ भर परमान।
तउअव अपने आप का हंस कहै बिद्वान।। 

बिटिआ

 बिटिआ बेदन कै  ऋचा साच्छात इस्लोक।
दुइ कुल का पामन करइ अउ साथै मा  कोंख।।