मंगलवार, 13 सितंबर 2022

काल्ह तुहूं ता धांधे जइहा।

काल्ह तुहूं ता धांधे जइहा।
हीठत जइहा कांधे अइहा।।

ब्रिंदाबन मा रहय का है ता
तुमहूं  राधे -- राधे गइहा  । ।

भ्रसटन मा हम बिस्व गुरु हन
कबहुं ता आराधे जइहा। ।

छापा परा ता निकली गड्डी
अब ता भइलो बांधे जइहा। ।

पूर सभा गंधाय लाग ही
आखिर कब तक पादे जइहै। ।
                हंस</b>

मस्त माल है।

देस मा चारिव कइती दहचाल है। फुर फुर बताबा का अपना का मलाल है।। दिल्ली अपने मन कै बात बाँचा थी कबहूँ नहीं पूछिस कि देसका का हाल है। । कूकुर के चाबे मा भोंका थी मीडिआ गऊशाला नहीं झांकै की भूसा पुआल है। । सरकारी दफ्तर मा घूंस बिना काम नहीं हर कुरसी पाले एकठे दलाल है। । हमरे संस्कार का येतू पतन भा वा बहिनी बिटियन का कहाथै मस्त माल है। । हंस

रविवार, 28 अगस्त 2022

bagheli Doha

बंधा फूटा पुलिया टूटी गिरी कहूं इसकूल। 
दरबारी कहि रहे हें यमै दइव कै भूल।। 

गुरुवार, 18 अगस्त 2022

बघेली मुक्तक

देस मा भूख कै बस्ती ही दादू।
तउ रोटी भात मा जियसटी ही दादू।।
महगाई  बजिंदा   खाये   लेथी
अमरित परब कै मस्ती ही दादू।।

बघेली मुक्तक

कोउ मूसर कोउ कांडी़ लइगा।
कोउ टठिआ कोउ हाडी़ लइगा।।
आसौं देबारी का जब घर कै सफाई भै
रसखान औ कबीर का कबाडी़ लइगा।।

रविवार, 14 अगस्त 2022

गांधी जी अमर हैं

फलाने हाथ मा सीसा लये बइठहें। 
बांचै का हनुमान चलीसा लये  बइठहें।। 
काल्ह कहिन राम पंचतंत्र अस केहानी आंय 
आज फसल काटै का बीसा लये बइठहें।। 
 
गांधी जी अमर हैं गंगा के धारा अस। 
देश के माटी मा जन जन के नारा अस।। 
गांधी पढाये जइहैं  सब दिन इसकूल मा 
भारत के बचपन का गिनती औ पहाड़ा अस।।
 

मुक्तक

हेन राष्ट्र बादी फुटकर नही थोक रहें। 
कबहूं चाणक्य ता कबहू अशोक रहें।। 
जेही भारत माता पालिस दुलार दइस 
ओइन य देस का देखा देखि भोंक रहें।। 

बघेली मुक्तक

घर घर मा फहरान तिरंगा, अमरित परब अजादी के। 
होइगे पछत्तर बरिस देस के सब का गरब अजादी के।। 
बंदेमातरं राष्ट्र मंत्र से गूंज उचा चप्पा चप्पा 
देस बंदना जनगणमन से अस्तुति करब अजादी के।। 

सोमवार, 18 जनवरी 2021

हंस के दोहे

गौरवशाली कुर्सियां, बदमिजाज आसीन।
समझ रहे वे  स्वयं  की,  मेधा  दक्ष  प्रवीन।।