मंगलवार, 21 जनवरी 2020

बघेली

उई हमरे अँगना का सुरिज बेधी बताउथें। 
गमकत गुलाब का गेंदी बताउथें। .. 

🙅🙅तै लगते इन्दौर फलनिया 💁💁

हम सामर तैं गोर फलनिया।
बड़ी मयारू मोर फलनिया। । 

 जीवन के ताना -बाना कै । 
 तैं सूजी हम डोर फलनिया। । 

हम रतिया भादव महिना कै । 
तैं फागुन कै भोर फलनिया। । 

 रिम झिम रिम झिम प्रेम के रित मा । 
 हम मेघा तैं मोर फलनिया। । 

हम हन बिंध अस उबड़ खाबड़ । 
तैं लगते इन्दौर फलनिया। । 

हिरदय भा कोहबर अस बाती । 
जब हंस से भा गठजोर फलनिया। । 
              ✅ @हंस भेड़ा मइहर
9575287490 

रविवार, 12 जनवरी 2020

तुम गरफांसी अस

तुम गरफांसी अस 


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हम तोहरे गर का हार  बन्यन पै तुम गरफांसी अस। 
तुम राहु केतू बन बइठया  औ हम पुनमासी अस। । 

आज सकारेन  ता स्वाती का किहे  रह्या उद्घाटन। 
अबै परी  हैं फूल की पखुरी औ फीता का काटन। । 
पानी  खातिर  करै  पपीहा  जुद्ध  पलासी  अस  । 

लोकतंत्र के बिरबा माही फर ता लाग अकूत। 
तुहिन बड्यारा बन के झार्या हमी बताया भूत। । 
लिहा कमीशन हर डेगाल  से हमी  अट्ठासी अस। 

पच्छिमहाई  करैं लाग जब पुरबइया का मान। 
मंच मा बइठे गांव कै तिजिया देख देख चउआन। । 
सोचय  केतू  सभ्भ  लगा  थी   देव दासी अस। 

जुगन बीति गें देस के खातिर बिन्ध्य का निहुरे निहुरे 
जब से ठग के गें अगस्त मुनि अजुअव  तक न बहुरे। । 
तुमहूँ  लूट  ल्या  जिव  भर  पै  वा  सन्नासी अस। 

कह्या नहा तुम दूध से दद्दी भइंस दया बेथन  कै। 
मूड़े काही तेल नहीं औ मनुष  मुगउरय  ठनकै। । 
उई  बांटत फिरैं पवाई दारी हम बनबासी अस। 

कुछ ठेकेदारन का मिलि गा देस भक्ति का ठेका। 
कुछ पलुहामै बंस बाद औ गाँधी बाद गा फेंका। । 
आबा भ्यांटकमार करी हंम  मगहर  बासी अस। 

             @ हेमराज हंस भेड़ा 

बघेली साहित्य bagheli sahitya हेमराज हंस :      दरबारन  मा  चर्चा है        -----------------...

बघेली साहित्य bagheli sahitya हेमराज हंस :      दरबारन  मा  चर्चा है        -----------------...:      दरबारन  मा  चर्चा है         -------------------------------------- दरबारन  मा  चरचा ही कम्प्यूटर  इंटरनेट के ।  खरिहानन मा म...

AAPAN BOLI BANI LAGAY MANAS KAI CHAUPAI

     दरबारन  मा  चर्चा है 

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दरबारन  मा  चरचा ही कम्प्यूटर  इंटरनेट के । 
खरिहानन मा मरै किसनमा फंदा गरे लपेट के। । 


केत्तव  निकहा बीज होय पै पनपै नहीं छह्याला मा। 
उनही दइ द्या ठयाव सुरिज का दउरैं न सरसेट के। । 


करब टंटपाली  अउ टोरइली कब का उइ ता भुलि चुकें 
बपुरे  ध्रुब  प्रहलाद हें  दूरी  पोथी  अउर  सलेट  के। । 


अइसा घिनही आँधी आई बिथरि गा सब भाई चारा। 
पुरखा जेही बड़े जतन से सउपिन रहा सहेज के। । 


मंदिर मसजिद से समाज के  मिल्लस कै  न आस करा 
धरम के ठेकेदारन का  ई  आही  साधन पेट के। 

प्रेमचंद के होरी का उइ उगरी  धरे बताऊथें 
द्याखा भइलो ताज महल औ चित्र इंडिया गेट के। । 

                  @हेमराज हंस  भेड़ा  


शनिवार, 4 जनवरी 2020

            मुक्तक 


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पहिले लोकतंत्र का गुंडन से बचाबा। 
ओखा माहुर भरे कुण्डन से बचाबा। । 
कुतका औ  चुम्मा का खेल जनता देखा थी 
देस का पाखंडी पंडन से बचाबा। । 
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आबा गुंडागर्दी का नमूना देखाई थे। 
जुजबी नहीं दोऊ जूना देखाई थे। । 
जउन सत्तर साल से उइ देस का लगाईंन ही 
वा उनखे  बेलहरा का चूना  देखाई थे। । 
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समय कै घूमत चकरी देखा। 
खूंटा देखा सकरी देखा। । 
आज जो भस्मासुर तुम पलिहा 
काल्ह अपना अखरी देखा। 
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आज वा कालर नहीं पकड़िस गरिआय के चला गा हमी। 
फलाने कहा थें गुंडई मा आ रही कुछ कमी। 
जो समाज के सनीचर से अपना का बचय खय.
ता खीसा  मा डारे रही गम्मदारी कै शमी। । 
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बुधवार, 25 दिसंबर 2019

वाणी वंदना


श्री वाणी वंदना  1


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हे मातु शारदे संबल दे
तै निरबल छिनीमनंगा का।
मोरे देस कै शान बढै
औ बाढै मान तिरंगा का॥
दिन दिन दूना होय देस मां
लोकतंत्र मजबूत।
घर घर विदुषी बिटिया हों औ,
लड़िका होंय सपूत॥
विद्वानन कै सभा सजै औ
पतन होय हेन नंगा का।
मोरे देस कै शान बढै
औ बाढै मान तिरंगा का॥
‘बसुधैव कुटुंम्‍बं' केर भावना
बसी रहै सब के मन मां।
औ परबस्‍ती कै लउलितिया,
रहै कामना जन जन मां ॥
देस प्रेम कै जोत जलै,
कहूं मिलै ठउर न दंगा॥
मोरे देस.........................
खेलै पढै बढैं बिद्यार्थी,
रोजी मिलै जबानन का।
रोटी औ सम्‍मान मिलै,
हेन घर घर बूढ़ सयानन का॥
रामेश्‍वरं मां चढत रहै जल,
गंगोतरी के गंगा का।
मोरे देस कै ......................
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मैहर धाम  2


मइहर है जहां विद्या कै देवी,
विराजी माँ शारद शक्‍ति भवानी।
पहिलय पूजा करय नित आल्‍हा,
औ देवी के वर से बना वरदानी॥
मइहर है जहा लिलजी के तट ,
मठ मह शिव हें औधड.दानी॥
ओइला मां मन केर कोइला हो उज्‍जर,
लंठव ज्ञानी बनै विज्ञानी।
मइहर है जहा संगम है ,
सुर सरगम कै झंकार सुहानी॥
अइसा पुनीत य मइहर धाम कै,
शत शत वंदन चंदन पानी॥
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वाणी वंदना  
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वर दे वीणापाणि हंसवाहिनी वागीश माँ ,मेरे देश को तु सुख शान्ति समृद्धि दे। 
रह द्वेष के कलेष लेश मात्र भी न रहें ,जन जन में जान्हवी सी शुचि धार बुद्धि दे। । 
सब में हो सर्व धर्म सदभाव  भावना  ,सत्य  शौर्य  धैर्य  बल विवेक की तू वृद्धि दे। 
दे दे  शारदे  अम्ब  अविलम्ब  अवलंब, भारत  में भर्ती माँ ऋत ऋद्धि सिद्धि दे। ।।  

चली करैं मतदान

        चली करैं मतदान
चला भैय्या मतदान केन्द्र हो  चली करैं मतदान।
अपने  बोट  दिहे  ते होई  लोकतंत्र   बलमान। ।

हम अब्बल लोकतंत्र दुनिया के मानि रहा संसार।
जनता का जनता के खातिर चला चुनी सरकार। ।
बोटहाई के दिना करी  मतदान केन्द्र प्रस्थान।
चला भैय्या मतदान केन्द्र --------------------------

कोऊ बांकी बची न अपना डारी सब जन बोट।
अपने मन के प्रत्याशी का खुदै चढ़ाई रोट। ।
बिन दबाव लालच के भाई मन का चुनी निशान।
चला भैय्या मतदान केन्द्र -------------------------------

चला करी संकल्प बंधी सब एकय  साहुत सूत।
सबसे जादा बोट डराउब अपने अपने  बूथ। ।
गांव गांव औ नगर नगर का बोलय हिन्दुस्तान।
चला भैय्या मतदान केन्द्र------------------------------------

हे मतदाता भाई बहिनी दाऊ काकी कक्का।
अरथुत के मतदान करी अपना अरगासी सबका।
अपना के मतदान मा धड़कै लोकतंत्र कै जान।
चला भैय्या मतदान केन्द्र हो  चली करैं मतदान। ।