गुरुवार, 31 अक्तूबर 2019

रंगोली सा रंग

जीवन में भरता रहे रंगोली सा रंग। 
उगे भाग्य का भास्कर लेकर नई उमंग।। 

घाव नही देखिस

जे पुरखन के पींठ का घाव नहीं देखिस।
वा लगथै पबाईदारन का गाँव नहीं देखिस।। 
चुनु का संच पाइस ता अक्कास मा उड़ा थै 
वा धरती से आपन उखड़त पांव नही देखिस।। 

सरदार पटेल

आजादी के दिआ मा भरिन जे बाती तेल।   
 वा भारत  रतन सपूत हैं श्री सरदार पटेल।। 

मंगलवार, 29 अक्तूबर 2019

नेता जी के नात का

चह जेही धुर देंय उंई या की कहैं कुलाँच। 
नेता जी के नाव से अइ न कउनव आंच ।। 

सुनिस घोसना कांपि गा थरथर बपुरा पेंट। 
खीसा का बीमा करी जेबकतरा एजेंट।। 

शनिवार, 26 अक्तूबर 2019

दियना कहिस अगस्त से

श्री राघव जू आ रहें बीते चउदह साल। 
या उराव मा जलि रहे घर घर दीप मशाल।। 

दीपदान कै लालसा तीरथ का अनुराग। 
चित्रकूट कोउ जा रहा कोऊ चला प्रयाग।। 

धरमराज कै फड़ सजी चलै जुंआ का खेल। 
गाँव गाँव मा पहुंच गय शकुनी बाली बेल।। 
रावण के भय से लुका जब से बइठ कुबेर। 
तब से धनी गरीब कै अलग अलग ही खेर।। 

उल्लू का खीसा भरा छूंछ हंस कै जेब। 
या भोपाल कै चाल की दिल्ली का फउरेब।।

जब सागर का मथा गा कढ़ें रतन दस चार। 
ओहिन मा धनवंतरी मिलें हमी उपहार।। 

पिये हलाहल शिव फिरैं विश्व मा हाहाकार। 
अमरित से उनखर किहिन धनवंतरी उपचार।

दुनिया भर कै औषधी रोग बिथा संताप। 
धनवंतरी का सब कहैं आयुर्वेद का बाप।। 

जिधिना से भ्रृगु जी हनिन श्रीहरिजू का लात।
लछिमी जू रिसिआय के चली गईं गुजरात।। 


दियना कहिस अगस्त से दादा राम जोहार। 
तुम पी गया समुद्र का हम पी ल्याब अंधिआर

हे लछिमी जू आइये संगे बुद्धि गणेश। 
मोरे भारत देस मा दालिद बचै न शेष।। 

Bagheli kavita By Hans

लछिमी का बोलायन ता जलंधर आय गा।
सुरपंखा कै नाक लये दसकंधर आय  गा।। 
जबसे हनीटेप माही नारद जी नपे
ता मोहनी के मोह माही बंदर आय गा।। 

गुरुवार, 24 अक्तूबर 2019

सोमवार, 21 अक्तूबर 2019

370

कोउ कहा थै पाप अस मरा है। 
कोउ कहा थै सांप अस मरा है।।
जिधना से तीन सै सत्तर हटी ही 
उधिना से उनखर बाप अस मरा है।। 

शुक्रवार, 18 अक्तूबर 2019

राजनीति का रकरा आय

पुलिस जाना थी जेबकतरा आय।
हमरे समाज का खतरा आय।। 
तऊ सलामी ठोंक रही की 
राजनीत का रकरा आय।। 

बुधवार, 16 अक्तूबर 2019