बघेली साहित्य bagheli sahitya हेमराज हंस
BAGHELI बघेली RIMHI RACHNA रचना का संगम
लेबल
अटल जी
अटलबिहारी।
अम्मा
आचार्य रामाधार शर्मा अनंत जी मैहर
आदि शंकराचार्य
कवि मैथलीशरण शुक्ल
कवि रवि शंकर चौबे
कविवर रामनरेश तिवारी मैहर
कुण्डलिया
खजुलैयां
खेल
गोस्वामी तुलसीदास
घटना
जनम दिन
जयराम शुक्ल जी
तीजा
दीपावली
दोहा
नवरात्रि
परसुराम
फागुन
बघेली कविता
बघेली कुण्डलिया
बघेली गीत
बघेली छंद
बघेली दोहा
बघेली बाल गीत
बघेली मुक्तक
भेड़ा
मतदान
मुक्तक
मुक्तक बघेली
लक्ष्मण सिंह परिहार लगरगवाँ
लोकरत्न कक्का
शम्भू काकू
स्वागत
हरछठ
B.J.P.
bagheli
bagheli ghajal
BAGHELI KAVI HEMRAJ HANS BHEDA
bagheli kavita
bagheli muktak
CHITRKOOT KAVI SAMMELAN 14.08.2024
GANESH PUJAN
MAIHAR DHAM
MAIHAR STATE
sahitya
SAMMAN PATRA
SHLOK
बुधवार, 6 मई 2015
हे !न्याय तंत्र तुमने यहां पुनः कर दिया सिद्ध।
दोहा
हे
!न्याय तंत्र तुमने यहां पुनः कर दिया सिद्ध।
विधि के है ऊपर नही कितना रहे प्रसिद्ध। ।
हेमराज हंस
BAGHELI SAHITYA: वैभव जब करने लगा निर्धन का अपमान।
BAGHELI SAHITYA: वैभव जब करने लगा निर्धन का अपमान।
: दोहा वैभव जब करने लगा निर्धन का अपमान। भारत माता रो पड़ी कर जन गण मन गान। । हेमराज हंस
BAGHELI SAHITYA: वैभव जब करने लगा निर्धन का अपमान।
BAGHELI SAHITYA: वैभव जब करने लगा निर्धन का अपमान।
: दोहा वैभव जब करने लगा निर्धन का अपमान। भारत माता रो पड़ी कर जन गण मन गान। । हेमराज हंस
वैभव जब करने लगा निर्धन का अपमान।
दोहा
वैभव
जब करने लगा निर्धन का अपमान।
भारत माता रो पड़ी कर जन गण मन गान। ।
हेमराज हंस
BAGHELI SAHITYA: बोलो किसके बाप की है ये देश जगीर। ।
BAGHELI SAHITYA: बोलो किसके बाप की है ये देश जगीर। ।
: दोहा ------------------------------------------------- अस्सी यहां गरीब हैं प्रतिशत बीस अमीर। बोलो किसके बाप की है ये देश जगीर। । हेम...
बोलो किसके बाप की है ये देश जगीर। ।
दोहा
-------------------------------------------------
अस्सी
यहां गरीब हैं प्रतिशत बीस अमीर।
बोलो किसके बाप की है ये देश जगीर। ।
हेमराज हंस ---
रविवार, 3 मई 2015
BAGHELI SAHITYA: हे बुद्ध मुस्कराये नही इस पूर्णमासी में।
BAGHELI SAHITYA: हे बुद्ध मुस्कराये नही इस पूर्णमासी में।
: मुक्तक हे बुद्ध मुस्कराये नही इस पूर्णमासी में। हैं व्यथित शायद अहिंसा की उदासी में। । इस दौर के चिंतन की असफलता तो देखिये नेता ...
हे बुद्ध मुस्कराये नही इस पूर्णमासी में।
मुक्तक
हे बुद्ध मुस्कराये नही इस पूर्णमासी में।
हैं व्यथित शायद अहिंसा की उदासी में। ।
इस दौर के चिंतन की असफलता तो देखिये
नेता हँस रहा है खेतिहर की फांसी में। ।
हेमराज हंस --9575287490
शुक्रवार, 1 मई 2015
BAGHELI SAHITYA: हम निरीह मजबूर वतन में ये कैसा मजदुर दिवस। ।
BAGHELI SAHITYA: हम निरीह मजबूर वतन में ये कैसा मजदुर दिवस। ।
: मजदूर श्रम सीकर का शोषण करके शोषक रहा विहँस। हम निरीह मजबूर वतन में ये कैसा मजदुर दिवस। । हमने अपने श्रम से सींचा उनका वैभव खेत...
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : साहित्त के नस मा दुष्यंत केर मस है ,
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : साहित्त के नस मा दुष्यंत केर मस है ,
: बघेली गजल साहित्त फुर कहा थै लबरी नही कहै। अपना के सत्ता अस जबरी नही कहै। । साहित्त के नस मा दुष्यंत केर मस है , साहित्त खउटही ...
नई पोस्ट
पुराने पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
व्यंग्यकार के व्यंग सुनाकर आप अपने को हंसने से नहीं रोक पाएंगे #chitrako...
bagheli kavita मिलब सांझ के hemraj hans
बघेली कविता हम सरबरिया बांम्हन आह्यन मिलब सांझ के हउली मां। मरजादा औ धरम क ब्वारब, नदिया नरबा बउली मां॥ होन मेल जोल भाईचारा कै, ...
जबसे मूड़े मा कउआ बइठ है
जबसे मूड़े मा कउआ बइठ है। असगुन का लये बउआ बइठ है।। पी यम अबास कै किस्त मिली ही वा खीसा मा डारे पउआ बइठ है।। होइगै येतू मंहग ...