बुधवार, 6 मई 2015

हे !न्याय तंत्र तुमने यहां पुनः कर दिया सिद्ध।

दोहा  

हे !न्याय तंत्र तुमने यहां पुनः कर दिया सिद्ध। 
विधि के है ऊपर नही कितना रहे प्रसिद्ध। । 
हेमराज हंस
 

BAGHELI SAHITYA: वैभव जब करने लगा निर्धन का अपमान।

BAGHELI SAHITYA: वैभव जब करने लगा निर्धन का अपमान।: दोहा  वैभव जब करने लगा निर्धन का अपमान।  भारत माता रो पड़ी कर जन गण मन गान। ।  हेमराज हंस

BAGHELI SAHITYA: वैभव जब करने लगा निर्धन का अपमान।

BAGHELI SAHITYA: वैभव जब करने लगा निर्धन का अपमान।: दोहा  वैभव जब करने लगा निर्धन का अपमान।  भारत माता रो पड़ी कर जन गण मन गान। ।  हेमराज हंस

वैभव जब करने लगा निर्धन का अपमान।

दोहा 

वैभव जब करने लगा निर्धन का अपमान। 
भारत माता रो पड़ी कर जन गण मन गान। । 
हेमराज हंस 

BAGHELI SAHITYA: बोलो किसके बाप की है ये देश जगीर। ।

BAGHELI SAHITYA: बोलो किसके बाप की है ये देश जगीर। ।: दोहा ------------------------------------------------- अस्सी यहां गरीब हैं प्रतिशत बीस अमीर।  बोलो किसके बाप की है ये देश जगीर। ।  हेम...

बोलो किसके बाप की है ये देश जगीर। ।

दोहा

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अस्सी यहां गरीब हैं प्रतिशत बीस अमीर। 
बोलो किसके बाप की है ये देश जगीर। । 
हेमराज हंस ---

रविवार, 3 मई 2015

BAGHELI SAHITYA: हे बुद्ध मुस्कराये नही इस पूर्णमासी में।

BAGHELI SAHITYA: हे बुद्ध मुस्कराये नही इस पूर्णमासी में।: मुक्तक  हे बुद्ध मुस्कराये नही इस पूर्णमासी में।  हैं व्यथित शायद अहिंसा की उदासी में। ।  इस दौर के चिंतन की असफलता तो देखिये  नेता ...

हे बुद्ध मुस्कराये नही इस पूर्णमासी में।

मुक्तक 
हे बुद्ध मुस्कराये नही इस पूर्णमासी में। 
हैं व्यथित शायद अहिंसा की उदासी में। । 
इस दौर के चिंतन की असफलता तो देखिये 
नेता हँस रहा है खेतिहर की फांसी में। । 
हेमराज हंस --9575287490 

शुक्रवार, 1 मई 2015

BAGHELI SAHITYA: हम निरीह मजबूर वतन में ये कैसा मजदुर दिवस। ।

BAGHELI SAHITYA: हम निरीह मजबूर वतन में ये कैसा मजदुर दिवस। ।: मजदूर  श्रम सीकर का शोषण करके शोषक रहा विहँस।  हम निरीह मजबूर वतन में ये कैसा मजदुर दिवस। ।  हमने अपने श्रम से सींचा उनका वैभव खेत...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : साहित्त के नस मा दुष्यंत केर मस है ,

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : साहित्त के नस मा दुष्यंत केर मस है ,: बघेली गजल  साहित्त फुर कहा थै लबरी नही कहै।  अपना के सत्ता अस जबरी नही कहै। ।  साहित्त के नस मा दुष्यंत केर मस है , साहित्त खउटही ...