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गुरुवार, 12 दिसंबर 2024

सुध कीन्हिस कोउ आई हिचकी।

 गीतांश --- 

सुध कीन्हिस कोउ आई हिचकी। 

अपना  ता  सेंतय  का बिचकी।।


बीत   रहीं  अगहन  की रातैं। 

कुकर  करै  अदहन की बातैं।।

सुन सुन के बिदुराथी  डेचकी। 

सुध कीन्हिस कोउ आई हिचकी।।


रहि - रहि  के सुहराथै तरबा।

मुंदरी से  बोलियाथै  फ्यरबा।।

औ आपन  अंगुरी चूमै  सिसकी। 

सुध कीन्हिस केउ आई हिचकी।।  

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