लेबल

शनिवार, 14 दिसंबर 2024

दूगुन आमदानी का प्रमान आबा है।

दूगुन आमदानी का प्रमान आबा है। करजा मा लदा किसान आबा है।। उनखे खातिर है मूड़े के पीरा अस इनखे निता सीधा पिसान आबा है। ।।

गुरुवार, 12 दिसंबर 2024

लिहे किसनमा ठाढ़ है

 लिहे किसनमा ठाढ़ है, खेते कै फ़रियाद।

बिजली घाई गोल ही, मोरे बीज कै खाद।।
हेमराज हंस

संत सताबत देख के

 संत सताबत देख के,लगी हिदय मा ठेस।

केतू नामक हराम है, जालिम बांग्ला देस।।
हेमराज हंस

हमरे नुकसान केर डाँड़ बांकी है।

 हमरे नुकसान केर डाँड़ बांकी है।

दुस्ट औ कृतघ्न कै दुइ फांड़ बांकी है।।
जोकर उपाय कइ सब हीच चुके हैं
फलाने कहि रहें हें की भाँड़ बांकी है। ।

जेखर उपरउझा लिहिस

 जेखर उपरउझा लिहिस, जूझा भारत देस।

वहय सनातन का बना, सबसे बड़ा कलेस।।
हेमराज हंस

जे गरीब तक से लिहिन

 जे गरीब तक से लिहिन, अपने पुरबी घूंस।

देशभक्ति के सभा मा, ओखर जबर जलूस।।
हेमराज हंस

सुध कीन्हिस कोउ आई हिचकी।

 गीतांश --- 

सुध कीन्हिस कोउ आई हिचकी। 

अपना  ता  सेंतय  का बिचकी।।


बीत   रहीं  अगहन  की रातैं। 

कुकर  करै  अदहन की बातैं।।

सुन सुन के बिदुराथी  डेचकी। 

सुध कीन्हिस कोउ आई हिचकी।।


रहि - रहि  के सुहराथै तरबा।

मुंदरी से  बोलियाथै  फ्यरबा।।

औ आपन  अंगुरी चूमै  सिसकी। 

सुध कीन्हिस केउ आई हिचकी।।  

सोमवार, 2 दिसंबर 2024

काल्ह कउआ बताबत रहा सुआ से

काल्ह   कउआ    बताबत    रहा    सुआ से। 
ओही मोतिआ बिन्द होइगा जग्ग के धुंआ से।।

जयन्त  भले   बड़े   बाप  केर   बेटबा  आय   
ओहू  कै  आँख  फुटि गै  कुदृष्टि  खुआ  से।। 
 
उनखे मन मा  ही खराबी की तन ख़राब है 
खजुरी  उच रही  ही मखमल के रुआ से ।। 

सिंघासन के पेरुआ सब दिन भयभीत रहे  हें 
कबौं सामना नहीं किहिन खुल के गेरुआ से।।

कहि द्या खबीस से कि वा उछिन्न ना करय 
हंस  कै  रण  चण्डी  टोर देयी  नेरुआ से  ।।
हेमराज हंस - भेदा मैहर