शनिवार, 27 जुलाई 2024

हम बड़े भयन है मस्सकत औ पीरा से

हम बड़े भयन है मस्सकत औ पीरा से। 
 घोपा का न तउली अपना  जकीरा से।। 

जब रइदास  के  साथ  मा  भजन गाइन
ता केतू क्याबा भें  पूँछी अपना मीरा से।।

खने के हाथ का  ठेठा नहीं देखय  केउ 
दुनिया मोहित हिबय चमचमात हीरा से।। 

काहू का छोट जान के न तउहीनी करा 
सबसे महँग ओन्हा रेसम बना थै कीरा से।। 

बांसुरी केर सुर पिआर लगय काने मा 
हंस केतू पीरा हिबै पूँछी अपना भीरा से।। 
हेमराज हंस   

सोमवार, 22 जुलाई 2024

लाल जी स्वामी चपना के

 लाल  जी स्वामी चपना के

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लाल  जी स्वामी चपना के। 

करैं पूर मनोरथ अपना के।।  


नमन करी पबरित माटी  का। 

सत्त  सनातन  परिपाटी   का।।

जय कालनेमि  के  हतना  के। 

करैं  पूर  मनोरथ  अपना  के।। 

  


कोउ चढ़ाबै  फूटा   रेउरी ।

कोउ नरिअर लै करै चेरउरी।।

हे ! प्रान बचइया लखना के।

करैं पूर मनोरथ अपना के।।


कोउ करै  मानस भण्डारा। 

गूंजय जयश्री  राम का नारा।। 

पूजन    हबन    अर्चना   के। 

करैं पूर मनोरथ अपना के।।


धन्य  है देस के रीत प्रथा का। 

कोउ  बदना  बदय  कथा  का। । 

पूर   करइया   सपना     के। 

लाल  जी स्वामी चपना के। 

करैं पूर मनोरथ अपना के।।  

सोमवार, 8 जुलाई 2024

जबसे मूड़े मा कउआ बइठ है

जबसे मूड़े  मा  कउआ बइठ है। 
असगुन का लये बउआ बइठ है।। 

पी यम अबास  कै किस्त मिली ही 
वा खीसा मा डारे पउआ  बइठ है।। 

होइगै    येतू    मंहग     तरकारी 
टठिया मा  हमरे लउआ बइठ है।। 

पर  साल  चार  ठे  दाना  नहीं  भा
औ सेंदुर रुपया लये नउआ बइठ है।।

घूंस  मा  जात  बाद  नही    लागय 
तिबारी कहिन की परउहा  बइठ है।।

रोजी     कै   कहूँ    आड़   ना  अद्धत 
सब हंस का कहैं भतखउआ बइठ है।।
 हेमराज हंस -भेड़ा  मइहर 
 

गुरुवार, 4 जुलाई 2024

आबा है चउमास

रिम झिम -रिमझिम पानी बरखै , आबा है चउमास।
धरती ओड़िस हरिअर चुनरी, जस कबित्त अनुप्रास।

कोउ  रूँधै  कोलिया  बारी,  धइ  गुलमेंहदी  जरिया।
कोउ छबाबै  छान्ही छप्पर , कोउ  बांधै  बउछेरिया।  
कुछ जन बइठ हें हाथ सकेले, अकरमन्न अजनास। 

खेतन  माही  बोबी  धान  ता,  लागंय  सुआ  चिरइया।
दिन भर बड़ा -बड़ा नरिआ थें , खेतबन केर तकाइया। 
झुक मुक  ब्यारा  घर  का  बहुरैं,  करे  दइव  से आस। 

अब  बढ़ान  गरमी   कै  छुट्टी ,  लगै   लगी   इस्कूल। 
बिद्या  के  मन्दिर मा  अबतक,  हिबै  ब्यबस्था  लूल। 
भारत के लाड़िल भभिस्स का,  एकव  नहीं  सुपास। 

करै   पपीहा   प्याऊं-  प्याऊं , स्वाती   केर   बसेड़ी ।
जस  तलाव  के मेड़ मा अउलट  बइठे  होंय  गजेड़ी।  
अहुर  बहुर   के  कारे  बदरा,  लागें  चढ़य   अकास।  

नाचै  बदरा   देख  - देख  के  देस  का   पंछी  मोर। 
औ  किरबा उतराय लाग, जब देखिन कहूं अजोर। 
अब गूलर के कंठ मा होइगा , पंचम सुर का बास। 
    
 

सोमवार, 1 जुलाई 2024

लिपटिस पीपर से कहिस

लिपटिस पीपर से कहिस, है उपयोग हमार। 
पै  भारत मा  हर  जघा,  पूजा  होय   तुम्हार।। 

पीपर बोला  सुन सखा,  हम  भारत   के बीज।
हम हन मंदिर अस हिया, औ तुम जस टाकीज।। 
हेमराज हंस  

ना आकरन लिहाज राम दै।

 ना आकरन    लिहाज   राम दै। 
कहाँ    गिरी  या   गाज  राम दै।। 

सुन्यन   सभ्भदारन    की  बातैं
मूड़   गड़ा   के आज   राम दै।।

कहिन गऊ का जब  हत्त्यारिन  
लाग ना  एकव  लाज  राम दै।।

बरात मा काहू के देखेन होइहा 
भले  नहीं  भा  काज  राम दै। ।

तुलुर  तुलुर  कइ  लहके  गे पै  
नेत  का  भा  अंदाज  राम दै। ।

कइ ल्या भूंभुर खूब  हंस   तुम 
है पद का यहै रिबाज  राम दै। ।
हेमराज हंस  --मैहर