राम जू कै सजी हिबै राजधानी।
मारै हिलोर सरजू का पानी।।
छूटि गा इतिहासन का करखा।
या सुभ सुदिन का तरसिगें पुरखा। ।
राम जी के मन्दिर कै निर मानी।
राम जू कै सजी हिबै राजधानी।
संबत दुइ हजार सुभ अस्सी।
पूस दुआस सुदी सोम तपस्सी। ।
गूँजी अबध मा बेद बानी।
राम जू कै सजी हिबै राजधानी। ।
दुनिया निरखै गउरब भारत।
बीना बाजामै शारद नारद।।
लेय निता राघव कै अगमानी।
राम जू कै सजी हिबै राजधानी। ।
अबध बिराजें राम लला जू।
सबका मन गदगद है आजू। ।
हंस अपने का मानाथें भागमानी।
राम जू कै सजी हिबै राजधानी। ।
हेमराज हंस -मैहर
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