सोमवार, 22 जनवरी 2024

पूरी दुनिया कर रही, राम राम का जाप।

पूरी  दुनिया   कर  रही,  राम  राम का जाप। 

दृश्य देख कुछ जन दुखी ,उनखे लोटय सांप।। 



 

सगले दानव दुखी हें , मानव का है गर्व।

 

गदगद होइगै आतिमा ,देख अबध पुर पर्व। 
सगले दानव दुखी हें , मानव का है गर्व। । 

अपना का बधाई अभिनंदन।

 अपना का  बधाई अभिनंदन। 

अबध    बिराजे  श्री  रधुनंदन।। 


पूर     देस   डूबा   उराव  मा

नैनन निरख्यन ऐतिहासिक छन ।।  

हेमराज हंस 

मंगलवार, 16 जनवरी 2024

आदि पुरुस जहाँ मनू भें,


 आदि  पुरुस  जहाँ मनू भें, करिन सृष्टि निरमान।

अजोध्या पाबन धाम है , मनुज का मूल अस्थान।।   

हेमराज हंस 

बुधवार, 3 जनवरी 2024

गरीब केर ठंडी

गरीब केर ठंडी

                         गरीब केर ठंडी

 गरीब केर ठंडी          गरीब केर ठंडी। 

सथरी बिछी ता लागय  पहला  का गुलगुल गद्दा। 
पउढ़य   घरे   भरे   के , भाई  बहिन  अउ  दद्दा। । 
आबा थी निकही  निदिआ  बे  गोली  बे  बरंडी। 

दिन उअतै घाम तापै चउरा मा मारे पलथी। 
बिटिआ लाग रांधै नए चाउर कै गोलहती। । 
चुल्हबा  मा आंच देथी धंधोल बिनिआ कंडी। 

दुई होय कि रुई होय कहि के मुस्की मारै भउजी। 
कांपा थें तन के हाड़ा  जाड़ा  किहे  मन मउजी। । 
तउअव गरीबी खुश ही जस जुद्ध  मा शिखंडी। 

जांय खै  करैं मजूरी  ही कड़कड़ात  ठाही। 
हांकै  का है अटाला , औ भूंख कै गंडाही। । 
हम जाड़  लइके  बइठब ता कइसा चढ़ी हंडी। 

करजा  का  खाब  है  अउ  पयार  केर तापब। 
ओन्हा  नहीं अलबुद्दा जाड़े मा थरथर काँपब। । 
गरीबी  कै  नामूजी  जाड़ा  करइ    घमण्डी। ।  
हेमराज हंस 

मंगलवार, 2 जनवरी 2024

राम जू कै सजी हिबै राजधानी।

 राम जू कै सजी हिबै राजधानी। 
मारै   हिलोर  सरजू   का  पानी।। 

छूटि  गा  इतिहासन  का  करखा। 
या सुभ सुदिन का तरसिगें पुरखा। । 
राम जी के मन्दिर कै निर  मानी। 
राम जू  कै सजी हिबै  राजधानी। 

संबत  दुइ  हजार  सुभ अस्सी। 
 पूस दुआस सुदी सोम तपस्सी। । 
गूँजी    अबध    मा   बेद बानी। 
 राम जू  कै सजी हिबै राजधानी। । 

दुनिया निरखै  गउरब भारत। 
बीना  बाजामै  शारद  नारद।। 
लेय निता राघव कै अगमानी।
 राम जू कै सजी हिबै राजधानी। । 

अबध बिराजें  राम लला  जू। 
सबका मन गदगद है आजू। । 
हंस अपने का मानाथें भागमानी। 
राम जू कै सजी हिबै राजधानी। । 
हेमराज हंस -मैहर 
  

सोमवार, 1 जनवरी 2024

शिव मंत्रों का संग्रह

 शिव मंत्रों का संग्रह

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ॐ चंद्रमौलेश्वर नम:।।

ॐ नमः शिवाय।

ॐ नमो भगवते रूद्राय |

ॐ नमः शिवाय व्योमकेश्वराय”

“ॐ हं हं सह:”

ॐ नमः शिवाय शान्ताय”

ॐ शंकराय नमः”

“ॐ पार्वतीपतये नमः”

ॐ अघोराय नम:, ॐ शर्वाय नम:, ॐ विरूपाक्षाय नम:, ॐ विश्वरूपिणे नम:,

ॐ त्र्यम्बकाय नम:, ॐ कपर्दिने नम:, ॐ भैरवाय नम:,

ॐ शूलपाणये नम:, ॐ ईशानाय नम:, ॐ महेश्वराय नम:

ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।। ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥

शिव शंकर जी का शाबर मंत्र -

 शंकर शंकर काशी के बासी अरज हमारी दरश दिखाओ गौरा संग आओ दोनों सुत संग लावो ,

 दलिद्र काटो रोग काटो शत्रु नाशो भण्डार भरो न करो तो तोको राजाराम की दुहाई 

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कर्पूरगौरं करुणावतारं संसार सारं भुजगेन्द्रहारम

सदा वसन्तं हृदयारविन्दे भवन भवानीसहितं नमामि।


ॐकारं बिंदुसंयुक्तं नित्यं ध्यायंति योगिनः।

कामदं मोक्षदं चैव ॐकाराय नमो नमः।।


ॐ सूर्यचन्द्राग्निनेत्राय नमः कैलासवासिने ।

सच्चिदानन्दरूपाय प्रमथेशाय मङ्गलम् ॥


वन्दे देवम उमापतिमं सुरगुरुं वन्दे जगात्कारानाम,

वन्दे पन्नगभूषणं मृग्धरमं वन्दे पशुनां पतिम् .

वन्दे सूर्या शशांक वह्रींनयन वन्दे मुकुन्द प्रियम

वन्दे भक्तजनाच्क्ष्यम च वरदम् वन्दे शिवम् शंकरम्।


नमस्ते नमस्ते विभो विश्वमूर्ते नमस्ते नमस्ते चिदानन्दमूर्ते।

नमस्ते नमस्ते तपोयोगगम्य नमस्ते नमस्ते श्रुतिज्ञानगम्।।


कर्चरणकृतं वा कायजं कर्मजं वा श्रवणन्यांजं वा मांससं वा पराधम |

विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमास्व जय जय करुणाअबधे श्री महादेव शम्भो ||


ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।

उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥


 "मृत्युंजय रुद्राय  नीलकंठाय शंभवे 

अमृतेशाय सर्वाय महादेवाय ते नमः"


नमस्ते भगवान रुद्र भास्करामित तेजसे।

नमो भवाय देवाय रसायाम्बुमयात्मने।।


आदित्य सोम वरुणानिलसेविताय यज्ञाग्निहोत्रवरधूमनिकेतनाय।

ऋक्सामवेदमुनिभि: स्तुतिसंयुताय गोपाय गोपनमिताय नम: शिवाय।।


अवन्तिकायां विहितावतारं मुक्तिप्रदानाय च सज्जनानाम्।

अकालमृत्यो: परिरक्षणार्थं वन्दे महाकालमहासुरेशम्।।


मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय नन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय।

मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय तस्मै मकाराय नम: शिवाय।।


लम्बत्स पिङ्गल जटा मुकुटोत्कटाय दंष्ट्राकरालविकटोत्कटभैरवाय।

व्याघ्राजिनाम्बरधराय मनोहराय त्रिलोकनाथनमिताय नम: शिवाय।।


सदुपायकथास्वपण्डितो हृदये दु:खशरेण खण्डित:।

शशिखण्डमण्डनं शरणं यामि शरण्यमीरम्।


देवगणार्चितसेवितलिंगम् भावैर्भक्तिभिरेव च लिंगम्।

दिनकरकोटिप्रभाकरलिंगम् तत्प्रणमामि सदाशिवलिंगम्।।


देवमुनिप्रवरार्चितलिंगम् कामदहं करुणाकरलिंगम्।

रावणदर्पविनाशनलिंगम् तत्प्रणमामि सदाशिवलिंगम्।।


करचरण कृतं वा क्कायजं कर्मजं वा

श्रवणनयनजं वा मानसं वापराधम्।

विहितम विहितं वा सर्वमे तत्क्षमस्व

जय जय करुणाब्धे श्रीमहादेव शम्भो।।


श्वेतदेहाय रुद्राय श्वेतगंगाधराय च।

श्वेतभस्माङ्गरागाय श्वेतस्वरूपिणे नमः।।

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श्री सदाशिव ध्यान

ऊं डिं डिं डिंकत डिम्ब डिम्ब डमरु,पाणौ सदा यस्य वै ।

फुं फुं फुंकत सर्पजाल हृदयं,घं घं च घण्टा रवम् ॥

वं वं वंकत वम्ब वम्ब वहनं,कारुण्य पुण्यात् परम्॥

भं भं भंकत भम्ब भम्ब नयनं,ध्यायेत् शिवं शंकरम्॥

यावत् तोय धरा धरा धर धरा ,धारा धरा भूधरा।।

यावत् चारू सुचारू चारू चमरं, चामीकरं चामरं।।

यावत् रावण राम राम रमणं, रामायणे श्रुयताम्।

तावत् भोग विभोग भोगमतुलम् यो गायते नित्यस:॥

यस्याग्रे द्राट द्राट द्रुट द्रुट ममलं ,टंट टंट टंटटम् ।

तैलं तैलं तु तैलं खुखु खुखु खुखुमं ,खंख खंख सखंखम्॥

डंस  डंस डुडंस डुहि चकितं, भूपकं भूय नालम्।।

ध्यायस्ते विप्रगाहे सवसति सवलः पातु वः चंद्रचूडः॥

गात्रं भस्मसितं सितं च हसितं हस्ते कपालं सितम्।।

खट्वांग च सितं सितश्च भृषभः, कर्णेसिते कुण्डले।।

गंगाफनेसिता जटापशुपतेश्चनद्रः सितो मुर्धनी॥

सो5यं सर्वसितो ददातु विभवं, पापक्षयं सर्वदा॥

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नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय।

नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै नकाराय नम:शिवाय।।1।।

मंदाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय नन्दीश्वरप्रमथनाथ महेश्वराय।

मण्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय तस्मै मकाराय नम:शिवाय।।2।।

शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्दसूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय।

श्रीनीलकण्ठाय बृषध्वजाय तस्मै शिकाराय नम:शिवाय।।3।।

वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्यमुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय।

चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनाय तस्मै वकाराय नम:शिवाय।।4।।

यक्षस्वरूपाय जटाधराय पिनाकहस्ताय सनातनाय।

दिव्याय देवाय दिगम्बराय तस्मै यकाराय नम:शिवाय।।5।।

पञ्चाक्षरिमदं पुण्यं य: पठेच्छिवसन्निधौ।

शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते।।6।।

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सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रिशैले मल्लिकार्जुनम्।

उज्जयिन्यां महाकालमोमकारममलेश्वरम्॥


परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशंकरम्।

सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारूकावने॥


वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यंबकं गौतमी तटे।

हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये॥


एतानि ज्योतिर्लिंगानि सायं प्रात: पठेन्नर:।

सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति॥


अन्यथा शरणम् नाऽस्ति, त्वमेव शरणम् मम्।

तस्मात्कारूण भावेन्, रक्ष माम् महेश्वर:॥

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शिव आवाहन मंत्र

ॐ मृत्युंजय परेशान जगदाभयनाशन।

तव ध्यानेन देवेश मृत्युप्राप्नोति जीवती।।


वन्दे ईशान देवाय नमस्तस्मै पिनाकिने।


नमस्तस्मै भगवते कैलासाचल वासिने।

आदिमध्यांत रूपाय मृत्युनाशं करोतु मे।।


त्र्यंबकाय नमस्तुभ्यं पंचस्याय नमोनमः।

नमोब्रह्मेन्द्र रूपाय मृत्युनाशं करोतु मे।।

नमो दोर्दण्डचापाय मम मृत्युम् विनाशय।।



देवं मृत्युविनाशनं भयहरं साम्राज्य मुक्ति प्रदम्।

नमोर्धेन्दु स्वरूपाय नमो दिग्वसनाय च।

नमो भक्तार्ति हन्त्रे च मम मृत्युं विनाशय।।



अज्ञानान्धकनाशनं शुभकरं विध्यासु सौख्य प्रदम्।

नाना भूतगणान्वितं दिवि पदैः देवैः सदा सेवितम्।।

सर्व सर्वपति महेश्वर हरं मृत्युंजय भावये।।

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लघुरुद्राभिषेक

ॐ सर्वदेवेभ्यो नम :

ॐ नमो भवाय शर्वाय रुद्राय वरदाय च।

पशुनां पतये नित्यं उग्राय च कपर्दिने॥1॥


महादेवाय भीमाय त्र्यंबकाय शिवाय च।

इशानाय मखन्घाय नमस्ते मखघाति ने॥2॥


कुमार गुरवे नित्यं नील ग्रीवाय वेधसे।

पिनाकिने हविष्याय सत्याय विभवे सदा।

विलोहिताय धूम्राय व्याधिने नपराजिते॥3॥


नित्यं नील शीखंडाय शूलिने दिव्य चक्षुषे।

हन्त्रे गोप्त्रे त्रिनेत्राय व्याधाय च सुरेतसे॥4॥


अचिंत्यायाम्बिकाभर्त्रे सर्व देवस्तुताय च।

वृषभध्वजाय मुंडाय जटिने ब्रह्मचारिणे॥5॥


तप्यमानाय सलिले ब्रह्मण्यायाजिताय च।

विश्र्वात्मने विश्र्वसृजे विश्र्वमावृत्य तिष्टते॥6॥


नमो नमस्ते सत्याय भूतानां प्रभवे नमः।

पंचवक्त्राय शर्वाय शंकाराय शिवाय च॥7॥


नमोस्तु वाचस्पतये प्रजानां पतये नमः।

नमो विश्र्वस्य पतये महतां पतये नमः॥8॥


नमः सहस्त्र शीर्षाय सहस्त्र भुज मन्यथे।

सहस्त्र नेत्र पादाय नमो संख्येय कर्मणे॥9॥


नमो हिरण्य वर्णाय हिरण्य क्वचाय च।

भक्तानुकंपिने नित्यं सिध्यतां नो वरः प्रभो॥10॥


एवं स्तुत्वा महादेवं वासुदेवः सहार्जुनः।

प्रसादयामास भवं तदा शस्त्रोप लब्धये॥11॥

॥ इति शुभम्॥