दरबारी कहि रहे हें यमै दइव कै भूल।।
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रविवार, 28 अगस्त 2022
गुरुवार, 18 अगस्त 2022
बघेली मुक्तक
देस मा भूख कै बस्ती ही दादू।
तउ रोटी भात मा जियसटी ही दादू।।
महगाई बजिंदा खाये लेथी
अमरित परब कै मस्ती ही दादू।।
रविवार, 14 अगस्त 2022
गांधी जी अमर हैं
फलाने हाथ मा सीसा लये बइठहें।
बांचै का हनुमान चलीसा लये बइठहें।।
काल्ह कहिन राम पंचतंत्र अस केहानी आंय
आज फसल काटै का बीसा लये बइठहें।।
गांधी जी अमर हैं गंगा के धारा अस।
देश के माटी मा जन जन के नारा अस।।
गांधी पढाये जइहैं सब दिन इसकूल मा
भारत के बचपन का गिनती औ पहाड़ा अस।।
मुक्तक
हेन राष्ट्र बादी फुटकर नही थोक रहें।
कबहूं चाणक्य ता कबहू अशोक रहें।।
जेही भारत माता पालिस दुलार दइस
ओइन य देस का देखा देखि भोंक रहें।।
बघेली मुक्तक
घर घर मा फहरान तिरंगा, अमरित परब अजादी के।
होइगे पछत्तर बरिस देस के सब का गरब अजादी के।।
बंदेमातरं राष्ट्र मंत्र से गूंज उचा चप्पा चप्पा
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