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गुरुवार, 19 नवंबर 2015
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : जे बदल दइस भूगोल नमन वा इन्दिरा गाँधी का।
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : जे बदल दइस भूगोल नमन वा इन्दिरा गाँधी का।: जे बदल दइस भूगोल नमन वा इन्दिरा गाँधी का। इतिहास करिस भू डोल नमन वा इन्दिरा गाँधी का। । नब्बे हजार पाकिस्तानिन से कनबुड्ढी लगबाइन जे...
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : जे बदल दइस भूगोल नमन वा इन्दिरा गाँधी का।
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : जे बदल दइस भूगोल नमन वा इन्दिरा गाँधी का।: जे बदल दइस भूगोल नमन वा इन्दिरा गाँधी का। इतिहास करिस भू डोल नमन वा इन्दिरा गाँधी का। । नब्बे हजार पाकिस्तानिन कनबुड्ढी लगबाइन जे कबौ...
जे बदल दइस भूगोल नमन वा इन्दिरा गाँधी का।
जे बदल दइस भूगोल नमन वा इन्दिरा गाँधी का।
इतिहास करिस भू डोल नमन वा इन्दिरा गाँधी का। ।
नब्बे हजार पाकिस्तानिन से कनबुड्ढी लगबाइन
जे कबौ न खाइन झोल नमन वा इन्दिरा गाँधी का। ।
हेमराज हंस
इतिहास करिस भू डोल नमन वा इन्दिरा गाँधी का। ।
नब्बे हजार पाकिस्तानिन से कनबुड्ढी लगबाइन
जे कबौ न खाइन झोल नमन वा इन्दिरा गाँधी का। ।
हेमराज हंस
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : हाँ हजूर हम दुइ कउड़ी के पै अपना कस नीच नही।
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : हाँ हजूर हम दुइ कउड़ी के पै अपना कस नीच नही।: हाँ हजूर हम दुइ कउड़ी के पै अपना कस नीच नही। छर छंदी के जीवन बाले माया मृग मारीच नही। । भले मशक्कत कै जिदगानी छान्ही तरी गुजारी थे हमी...
हाँ हजूर हम दुइ कउड़ी के पै अपना कस नीच नही।
हाँ हजूर हम दुइ कउड़ी के पै अपना कस नीच नही।
छर छंदी के जीवन बाले माया मृग मारीच नही। ।
भले मशक्कत कै जिदगानी छान्ही तरी गुजारी थे
हमीं गर्व है कि बेईमानी हमरे तनिक नगीच नही। ।
हेमराज हंस----- 9575287490
छर छंदी के जीवन बाले माया मृग मारीच नही। ।
भले मशक्कत कै जिदगानी छान्ही तरी गुजारी थे
हमीं गर्व है कि बेईमानी हमरे तनिक नगीच नही। ।
हेमराज हंस----- 9575287490
मंगलवार, 10 नवंबर 2015
आबा हो लछमी आबा साथै गनेश के।
आबा हो लछमी
आबा हो लछमी आबा साथै गनेश के।
स्वागत म देस ठाढ़ है दियना लेस के। ।
मुड़हर से ओसारी तक बड़की सजाये घर का।
स्वस्तिक औ रंगोली से गोदना गोदये फरका। ।
डेहरी सुदिन निकारे तोहरे गृह प्रवेश के।
अाबा हो -लछमी ------------
दुअरा म बँधनबार औ शुभ लाभ भीत म।
गोबर से महकै माटी जस लोक गीत म। ।
अगमानू म अजोर थिरकेँ भेष भेष के।
अाबा हो लछमी ------------
जब से 'भृगु जी 'मारिन श्री हरि का लातें।
तब से दलिद्रता कै अंधियारी कारी रातें। ।
भारत कै सगली माया लई गें विदेश के।
अाबा हो लछमी आबा ----------
गाँवव म अहिरा बाबा का भारी हूंन ही।
होती हैं गऊ कै हत्या सब सार सून ही। ।
मुरइला का छाहुर रोय गा बिन गाय भैस के।
अाबा हो लछ्मी अाबा साथै गनेस के। ।
हेमराज हंस मैहर
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