बुधवार, 28 अक्तूबर 2015

धूं धूं कर के लाश जल रही धरती पुत्र किसान की।

धूं धूं कर के लाश जल रही  धरती पुत्र किसान की। 
हाय !विधाता क्या दुर्गति है मेरे हिन्दुस्तान की। । 
हेमराज हंस 

सोमवार, 26 अक्तूबर 2015

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : शौचालय बनवाबा घर मा शौचालय बनवाबा।

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ओ से वोट के अलाबा बेउहार नही होय। ।

गरीबन  का तीज तेउहार नही होय। 
ओ से वोट के अलाबा बेउहार नही होय। । 
वा चाह ज्याखर जिन्दावाद बोलय 
पै 'रित 'के बिना राम जोहर नही होय। । 
हेमराज हंस  

गरीबन से खूब चेरउरी बिनती हो थी।

गरीबन से खूब चेरउरी बिनती हो थी। 
जब वोट मा बपुरे कै गिनती हो थी। । 
हेमराज हंस

गुरुवार, 15 अक्तूबर 2015

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : शौचालय बनवाबा घर मा शौचालय बनवाबा।

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बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : तब जनता अपनी स्वयं प्रवक्ता होती है। ।

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : तब जनता अपनी स्वयं प्रवक्ता होती है। ।: जब समाज में अराजकता होती है।  तब जनता अपनी स्वयं प्रवक्ता होती है। ।  सिंघासन की बुनियादें हिलने लगती हैं  पश्चाताप के बियावान  में सत्त...

मंगलवार, 13 अक्तूबर 2015

शौचालय बनवाबा घर मा शौचालय बनवाबा।

शौचालय बनवाबा 

शौचालय बनवाबा भाई  शौचालय बनवाबा। 
अपने घर के बड़मंशी का बहिरे न बगवाबा। । 
                                हमरी  बहिनी बिटिया बहुअय बपुरी जांय बगारे। 
                                यहैं तकै झुकमुक ब्यारा का वहै उचै भिनसारे। । 
                                घर के मरजादा का भाई अब न यतर सताबा। 
                                शौचालय बनवाबा भाई  शौचालय बनवाबा। । 

फिरंय लुकाये लोटिया बपुरी  मन मा डेरातीं आप। 
निगडउरे मा बीछी चाबै चाह खाय ले सांप। । 
सबसे जादा चउमासे मा  हो थें जिव के क्याबा। 
शौचालय बनवाबा भाई  शौचालय बनवाबा। । 

                              तजी  सउख मोबाइल कै औ भले न देखी  टीबी। 
                              शौचालय बनवाई  घर मा अपना हन बुधजीबी। । 
                              सरकारव कइ रही मदद औ कुछ अपने से लगाबा। 
                            
शौचालय बन बनवाबा भाई  शौचालय बनवाबा। । 

जब घर मा शौचालय होइ ता ही घर कै सज्जा। 
तब न खेत बगारे बागी अपने  घर कै लज्जा। । 
करा  कटौती अउर खर्च कै निर्मल घर बनवाबा। 
शौचालय बनवाबा भाई शौचालय बनवाबा। । 

                            शौचालय बनवाय घरे मा चला गंदगी पहटी। 
                           पाई साँस जब शुद्ध हबा हरहजा रोग न लहटी। । 
                          चला 'हंस 'सब जन कोऊ मिल के य संकल्प उछाबा। 
                          शौचालय बनवाबा घर मा शौचालय बनवाबा। । 

    @ हेमराज हंस -----9575287490