शासक जब करने लगे शोषण अत्याचार।
ईश्वर को लेना पड़ा परसुराम अवतार। ।
मिला सदा इस देश को विप्रों का आशीष ।
चाहे राजा राम हों या कि द्वारिका धीश ।।
दिया देश को श्रेष्ठतम , विप्रों ने हर काल।
चाहे वे चाणक्य हों ,या आज अजीत डोभाल।।
युग नायक होते नही किसी जाति में कैद।
वे बीमार समाज के हैं शुभ चिंतक वैद। ।
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भारत के स्वाभिमान के प्रतीक परशुराम।
सनातनी समाज के हैं लीक परशुराम।।
दुष्ट शासकों .को सबक दमन के लिये
मिशाल वीरता की एक सीख परशुराम।।
आताताइयों के लिए हैं वे काल सम
औ साधु सज्जनों के लिये ठीक परशुराम।।
चारो युग में वे हैं पूजनीय अमर भी
शूरता की मूर्ति हैं निर्भीक परशुराम। ।
धन्य माता रेणुका जमदागनी पिता
विष्णु के अवतार हैं नीक परशुराम। ।