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शुक्रवार, 31 मार्च 2023
दुनिया मा सब दिन लड़ें, धरम औ रीत रिबाज।
दुनिया मा सब दिन लड़ें, धरम औ रीत रिबाज।
शाकाहारी सुआ के, बीच रहै न बाज।।
शनिवार, 25 मार्च 2023
तै रुपियन का दास रे नेता।
तोर कउन बिस्वास रे नेता।।
तोहि है हर हाल मा कुरसी
जनता का बनबास रे नेता। ।
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भारत के इतिहास मा आबा अइसा बक्त।
महबूबा तक बन गयीं महादेव कै भक्त। ।
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कोउ बस से कोउ रेल से डेराथै।
कोउ नाक से कोउ नकेल से डेराथै।।
वा साइकिल बेंच के फटफटी लइस ता
तब से कहूं जांय का तेल से डेराथै।।
मंगलवार, 21 मार्च 2023
मइहर है जहां बिद्या कै देवी
मइहर है जहां बिद्या कै देवी
बिराजी मा शारद शक्ति भवानी।
पहिलय पूजा करय नित आल्हा
ता देवी के बर से बना बरदानी।।
मइहर है जहाँ लिलजी के तट
गोला मठ मा हैं औघड़ दानी।
मइहर है जहाँ संगम है सुर
सरगम कै झंकार सुहानी। ।
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मइहर है जहाँ भक्ति क रेला है
श्रद्धा औ बिस्वास का मेला।
जग जननी के दरशन खातिर
धाबत जग नव रातरि बेला। ।
काहु के हाथ मा सेंदुर फूटा है
काहू के हाथे मा नरियर भेला।
कोउ चढ़ाबत मेबा मिठाई
कोउ चढ़ाबत फूल औ केला। ।
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मइहर है जहाँ रामसखा जू का
आश्रम गुरुकुल बिद्याधानी।
बेद बिद्यालय मा वेद ऋचा पढ़ि
बालक ग्यानी बनैं बिग्यानी।।
ओइला मा मन केर कोइला हो उज्जर
मन बच कर्म लगाबै जे प्रानी।
हंस पुनीत या मइहर धाम का
शत शत बंदन चंदन पानी। ।
@हेमराज हंस भेड़ा मैहर
बुधवार, 15 मार्च 2023
दइया नाहर बिजली का बिल मोरे बप्पा रे !
दइया नाहर बिजली का बिल मोरे बप्पा रे !
जइसा घर मा चलत होय मिल मोरे बप्पा रे !!
काहू कै मोटर इस्टाटर काहू कै फटफटिया
औ काहू कै कुर्क साइकिल मोरे बप्पा रे !!
@ हेमराज हंस
बहिनी क एक हजार हर गंगे।
बहिनी काहीं एक हजार हर गंगे।
बहनोई बागै दाहिजार।। हर गंगे। ।
घंटाघर मा ठाढ़ रहा थै दुपहर तक।
तउ नहीं पाबै रोजगार। हर गंगे । ।
@हेमराज हंस
सोमवार, 13 मार्च 2023
कढ़ी भात औ बगजा चाही।
कढ़ी भात औ बगजा चाही।
औ सबूत का कगजा चाही।।
दाखिल खारिज अबै नहीं भै
उनही हरबी कब्ज़ा चाही। ।
रविवार, 12 मार्च 2023
करिआरी अस पगहा नही होय ।
करिआरी अस पगहा नही होय ।
फउज मा भर्ती रोगहा नही होय । ।
उनसे जाके कहि द्या भूभुर न करै
समय काहू का सगहा नही होय । ।
हथौड़ा चला गा संसी चली गै।
मछरी के लोभ मा बंशी चली गै। ।
उनसे कहा लोकतंत्र का सम्मान करैं
गरिआयेन से सगली बड़मंसी चली गै। ।
उइ गरीबन के निता हबाई अड्डा बनाउथें
हमार जुग आन रहा दद्दा बताउथें।
ईं ता कथरी फार के गद्दा बनाउथें।।
अपना उनखे ऊपर बिल्कुल सक न करी
उइ गरीबन के निता हबाई अड्डा बनाउथें। ।
@हेमराज हंस
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