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बुधवार, 12 जून 2024
वा एक पुड़िया कुरकुरा मा रगाय गा।
मंगलवार, 11 जून 2024
कुच्छ न पूछा हाल तिवारी।
कुच्छ न पूछा हाल तिवारी।
निगबर लइ डारिन पटबारी।
आपन खसरा बताइन घर मा।
कब्ज़ा कर लइन बीडी शर्मा।।
वासर भइंस लिहिस बइठान
उइ अब मार रहें सिस कारी।
कुच्छ न ---------------------
यम पी मा चला न खटाखट्ट ।
होइगे निगबर सफाचट्ट।।
उनहिन का भा चित्त पट्ट।
इनखर चली न लम्मरदारी।
कुच्छ न ----------------
अइसा बजा जुझारू बाजा।
पुनि के निपट गें दिग्गी राजा।।
बिंध मालबा औ निमाड़ तक
परे उतान हमय दरबारी।
कुच्छ न ----------------
गहकी बागैं बिल्लिआन।
कहाँ ही मुहाब्बत केर दुकान। ।
शटर बंद जनता कइ दीन्हिस
पुन पलुहाई पुन पुचकारी।
कुच्छ न पूछा हाल तिवारी।
हेमराज हंस
अपने रिमही बघेली के अनमोल रतन
अपने रिमही बघेली के अनमोल रतन।
जिनही सुने से मिट जाथी तन मन कै थकन।।
दुनहु जन का बधाई शुभ कामना ही
बिन्ध्य के कंठ हार बंदन औ अभिनंदन।।
सोमवार, 10 जून 2024
तब कवि राम नरेस अस, मनई बनै शालीन।।
जब बानी औ शब्द मिल,. होंय तपिस्या लीन।
तब कवि राम नरेस अस, मनई बनै शालीन।।
शारद के बरदान अस , हैं नरेश श्री मान ।
जिनखे हाथे मा पहुँच, सम्मानित सम्मान।
पयसुन्नी अस सब्द का, जे पूजय दिनरात।
कबिता उनखे निता ही, जीबन कै जरजात।।
गीत ग़ज़ल कै आरती , दोहा कविता छंद।
आंखर आंखर आचमन, अंतस का आनंद।।
शब्द ब्रह्म का रुप है, वर्ण धरै जब भेष।
मइहर मा एक संत हैं, पंडित रामनरेश।।
लगय कटाये घाट अस, सब्दन का लालित्य।
मैहर मा चमकत रहैं, राम नरेश आदित्य।।
गुरुवार, 6 जून 2024
गाड़ी का पंचर भा चक्का।
गाड़ी का पंचर भा चक्का।
नाचय लागें चोर उचक्का।।
कहूं पायगें गें एकठे टोरबा
लगें सबूत देखामय छक्का। ।
जे हें फेल उइ हे उराव मा
भा जे पास वा हक्का बक्का।।
अजिआउरे का थाका पाइन
थरह रहें थइली मा मक्का।।
उनखी बातैं आला टप्पू
सुनसुन के बिदुराथें कक्का। ।
देखि रहें जे कबरे सपना
हंस खुली उनहूँ का जक्का। ।
हेमराज हंस
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टोरबा = बालक
अजिआउरे = दादी का मायका
थाका = निःसंतान की संपत्ति
थरह = पौधशाला
आला टप्पू = बिना अनुभव, बिना सोचे-विचारे,
कबरे = रंगीन
जक्का = विवेकशून्य स्थिति,
लेत रहें जे थान के, लम्बाई कै नाप।
लेत रहें जे थान के, लम्बाई कै नाप।
अर्ज देख लोटय लगा,उनखे छाती सांप।।
भला बताई आप से, कउन ही आपन सउंज।
अपना बोतल का पियी, हम पी पानी अउंज।।
न मात्रा का ज्ञान है, न हम जानी वर्ण।
न मात्रा का ज्ञान है, न हम जानी वर्ण।
पारस के छुइ दये से, लोहा होइगा स्वर्ण।।
रविवार, 2 जून 2024
मानो मोहनिया घाट
शनिवार, 1 जून 2024
लोकरत्न कक्का
रीमा मा कक्का हमय , जग जीबन है नाव ।
उनखे झंडा के तरी, सब्द का सीतल छाँव।।
सब्द का सीतल छाँव मान सब लेखनी काही।
चाह अडारन होय, चाह अनमोल सिपाही।।
लोकरत्न कक्का लगैं ,अमल्लक रतन छटीमा।
आजु हमय सहनाव अस कक्का जी औ रीमा।।
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बघेली कविता हम सरबरिया बांम्हन आह्यन मिलब सांझ के हउली मां। मरजादा औ धरम क ब्वारब, नदिया नरबा बउली मां॥ होन मेल जोल भाईचारा कै, ...
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जबसे मूड़े मा कउआ बइठ है। असगुन का लये बउआ बइठ है।। पी यम अबास कै किस्त मिली ही वा खीसा मा डारे पउआ बइठ है।। होइगै येतू मंहग ...