सोमवार, 10 जून 2024

तब कवि राम नरेस अस, मनई बनै शालीन।।

 जब बानी औ शब्द मिल,. होंय तपिस्या लीन।

तब कवि राम नरेस अस, मनई बनै शालीन।।


शारद के बरदान अस , हैं नरेश श्री मान । 

जिनखे  हाथे  मा पहुँच, सम्मानित सम्मान। 


पयसुन्नी  अस सब्द का, जे पूजय  दिनरात। 

कबिता उनखे निता ही, जीबन कै जरजात।।   

 

गीत ग़ज़ल कै आरती ,  दोहा कविता छंद।

आंखर आंखर आचमन, अंतस का आनंद।।

 

शब्द  ब्रह्म  का  रुप है,  वर्ण  धरै जब भेष।

मइहर  मा  एक  संत  हैं, पंडित रामनरेश।।


लगय कटाये घाट अस, सब्दन का लालित्य। 

मैहर मा  चमकत रहैं,  राम नरेश आदित्य।। 

 


गुरुवार, 6 जून 2024

गाड़ी का पंचर भा चक्का।

 गाड़ी का पंचर भा  चक्का। 

नाचय लागें चोर उचक्का।।


कहूं पायगें गें एकठे टोरबा 

लगें सबूत देखामय छक्का। ।


जे हें  फेल  उइ  हे उराव मा 

भा जे पास वा हक्का बक्का।। 


अजिआउरे का थाका पाइन 

थरह  रहें थइली  मा मक्का।।

 

उनखी   बातैं  आला  टप्पू 

सुनसुन के बिदुराथें कक्का। ।


देखि  रहें  जे   कबरे सपना

हंस  खुली उनहूँ का जक्का। ।

हेमराज हंस

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 टोरबा = बालक 

अजिआउरे = दादी का मायका 

थाका  = निःसंतान की संपत्ति 

थरह = पौधशाला 

आला टप्पू =  बिना अनुभव, बिना सोचे-विचारे, 

कबरे = रंगीन 

जक्का = विवेकशून्य स्थिति, 


लेत रहें जे थान के, लम्बाई कै नाप।

 लेत  रहें  जे थान  के,  लम्बाई  कै नाप।

अर्ज देख लोटय लगा,उनखे छाती सांप।।



भला बताई आप से, कउन ही आपन सउंज।

अपना बोतल का पियी, हम पी पानी अउंज।।

न मात्रा का ज्ञान है, न हम जानी वर्ण।

 न मात्रा  का  ज्ञान  है, न हम  जानी वर्ण। 

पारस के छुइ दये से, लोहा होइगा स्वर्ण।। 

रविवार, 2 जून 2024

मानो मोहनिया घाट

 तुम रहत्या जब साथ ता , पता चलय न बाट। 
औ रस्ता छोह्गर लगै, मानो मोहनिया घाट।। 
हेमराज हंस 

शनिवार, 1 जून 2024

लोकरत्न कक्का


 रीमा  मा  कक्का  हमय ,  जग जीबन  है नाव । 

उनखे  झंडा  के तरी,  सब्द  का  सीतल  छाँव।। 

सब्द का सीतल छाँव मान  सब लेखनी काही। 

चाह  अडारन  होय,  चाह  अनमोल   सिपाही।।

लोकरत्न  कक्का लगैं ,अमल्लक रतन छटीमा। 

आजु हमय सहनाव अस कक्का जी औ रीमा।। 

शुक्रवार, 31 मई 2024

सरसुती मइय्या होय सहांई। ।

 शाबास बिटिया हार्दिक बधाई। 

सम्मान मिलै खुब बंटय मिठाई।। 

दूनव  कुल  का  नाउ    चलय  

सरसुती मइय्या होय  सहांई। । 

शीर्षक अपना अखबार के।।

 हम  देखइया   दरबार  के। 

शीर्षक अपना अखबार के।। 

गूंजय  देस  भरे मा बानी 

कबिता  के  रस  धार के ।।  

श्री मैथिल जी व्यास

 

रिमही बोली के निता, श्री मैथिल जी व्यास। 
जिनखे कण्ठे मा हबइ शारद जी का बास।।  

हमारी ग्राम गिरा रिमही बघेली के जन कवि आचार्य श्री मैथलीशरण शुक्ल जी को 75 वे जन्म दिन की हार्दिक बधाई। श्री मैथली जी बघेली के मूर्धन्य साहित्यकार हैं। वे बघेली की सौम्यता सुष्मिता सुचिता सरलता सहजता के पहरुआ कवि हैं। उनकी बघेली रचनाओं को मप्र सरकार ने उच्च शिक्षा विभाग के BA. MA. कोर्स में अध्ययन हेतु चयनित कर उनकी मनस्विनी को सम्मानित किया है। हम जैसे तुकबंदी कारो को उनका सनेह अभिभावक की तरह मिल रहा है। माँ शारदा उन्हें स्वथ्य रखें और शतायु होने आशीर्वाद प्रदान करें। कोटि कोटि बधाई। अभिनंदन।


गुरुवार, 30 मई 2024