काल्ह कहिन हमसे बड़कउना।
काखे मुंह मा तइहा अउना।।
गदहा का मिसरी नहि पाचय
औ कूकुर का पचय न नेउना। ।
हेमराज हंस
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भइंस अबै बिआन नही उई सोंठ ख़रीदा थे।
लिपिस्टिक लगामै का ओंठ ख़रीदा थे।।
जउन भ्रष्टाचारी जमानत मा छूट हें
ओऊं ईमानदारी कै ओट ख़रीदा थें ।।
सब आपन आपन दाग मूंदय मा लगें हें
जे नेत के कच्चे हें उइं लगोट ख़रीदा थें ।।
जउन दल बइठान लये हें बाम पंथ अस
उइ पुन के ठाढ़ होय का अखरोट ख़रीदा थें ।।
दुनिया के सबसे बड़े लोक तंत्र मा
हंस एकठे ''बोतल '' मा वोट ख़रीदा थे। ।
हेमराज हंस-- भेड़ा मइहर