रविवार, 14 अगस्त 2022

गांधी जी अमर हैं

फलाने हाथ मा सीसा लये बइठहें। 
बांचै का हनुमान चलीसा लये  बइठहें।। 
काल्ह कहिन राम पंचतंत्र अस केहानी आंय 
आज फसल काटै का बीसा लये बइठहें।। 
 
गांधी जी अमर हैं गंगा के धारा अस। 
देश के माटी मा जन जन के नारा अस।। 
गांधी पढाये जइहैं  सब दिन इसकूल मा 
भारत के बचपन का गिनती औ पहाड़ा अस।।
 

मुक्तक

हेन राष्ट्र बादी फुटकर नही थोक रहें। 
कबहूं चाणक्य ता कबहू अशोक रहें।। 
जेही भारत माता पालिस दुलार दइस 
ओइन य देस का देखा देखि भोंक रहें।। 

बघेली मुक्तक

घर घर मा फहरान तिरंगा, अमरित परब अजादी के। 
होइगे पछत्तर बरिस देस के सब का गरब अजादी के।। 
बंदेमातरं राष्ट्र मंत्र से गूंज उचा चप्पा चप्पा 
देस बंदना जनगणमन से अस्तुति करब अजादी के।। 

सोमवार, 18 जनवरी 2021

हंस के दोहे

गौरवशाली कुर्सियां, बदमिजाज आसीन।
समझ रहे वे  स्वयं  की,  मेधा  दक्ष  प्रवीन।।

शनिवार, 12 सितंबर 2020

भारत रत्न प्रणव मुखर्जी

पितर पाख

पुरखन के सम्मान का पितर पाख है सार। 
जे हमका जीबन दइन उनखे प्रति आभार।। 

लालू रिसान

चक्की पीसैं के निता लालू धधे रिसान। 
ताकी जनता का मिलै ठाहर सुद्ध पिसान।।