बुधवार, 2 मार्च 2016

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : bagheli kavitaजस पियरी पहिरे छलै पञ्चवटी का सन्त। ...

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : bagheli kavitaजस पियरी पहिरे छलै पञ्चवटी का सन्त। ...: अस कागद के फूल मा गमकैं लाग बसन्त।  जस पियरी पहिरे छलै पञ्चवटी का सन्त। ।  हेमराज हंस --9575287490

bagheli kavitaजस पियरी पहिरे छलै पञ्चवटी का सन्त। ।

अस कागद के फूल मा गमकैं लाग बसन्त। 
जस पियरी पहिरे छलै पञ्चवटी का सन्त। । 
हेमराज हंस --9575287490 

रविवार, 28 फ़रवरी 2016

bagheli kavita होइ गा नाती पावरहाऊस। ।

bagheli kavita
हाथे माही थाम्हे माउस। 
पूरी दुनिया हमी देखाउस।। 
मरि गा बाबा अंधियारे मा 
होइ गा नाती पावरहाऊस। । 
हेमराज हंस --9575287490

सोमवार, 8 फ़रवरी 2016

bagheli poemहमरे भारत माता कै पूजा बधाई हो थी।

हमरे भारत माता कै पूजा बधाई हो थी। 
एहिन से गाँव गाँव मा खेर दाई हो थी। । 
जब कोऊ हमरे स्वाभिमान का ललकारा थै 
वखर दशा अफजल की नाइ हो थी। । 
हेमराज हंस 

रविवार, 7 फ़रवरी 2016

गदगद मध्यप्रदेश है औ जन जन का नाज़ हेमराज हंस ==मैहर

''कृषि कर्मण ''पुनि के मिला धन्न धन्न शिवराज। 
गदगद मध्यप्रदेश है औ जन जन का नाज़ 
हेमराज हंस ==मैहर 

bagheli poem unkhe lal ten kai faiktri band hai उनखे लालटेन कै फैक्ट्री बंद है। ।

बघेली 
आज काल्ह बिजली का चकाचक्क आनंद है। 
अइसा विकास हमी न पसंद है।। 
मट्ठी के तेल का धन्धा चउपट है 
उनखे लालटेन   कै फैक्ट्री बंद है। । 
हेमराज हंस मैहर 

kavita देश भक्तों की चिता पे घास मिलेगी। ।

जानता हूँ कल कलम की लाश मिलेगी। 
लेखनी की टूटी हुई साँस मिलेगी। । 
भ्रष्टाचारियों के स्मारक बनेंगे 
देश भक्तों की चिता पे घास मिलेगी। । 
हेमराज हंस ==मैहर =

शनिवार, 6 फ़रवरी 2016

जातिवाद के माथे परंगत नही परै। hemraj hans

जातिवाद के माथे परंगत नही परै। 
कार्बाइट से पके फल मा रंगत नही परै।। 
चाह जउन जात केर होय धन्ना सेठ 
पै गरीबन के साथ ओखर पंगत नही परै। । 
हेमराज हंस  === मैहर   

मंगलवार, 2 फ़रवरी 2016

BAGHELI DOHA

बघेली 
जनता खुब बिदुरा थी देख देख के स्वांग। 
बड़े सूध ज्ञानी लगैं बांख अउ जडब्वान्ग।। 
हेमराज हंस 

 

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : बरदाँय का आगे आगे। । HEMRAJ HANS

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : बरदाँय का आगे आगे। । HEMRAJ HANS: काहे बगत्या भूखे लांघे।  रात रात उस्नीधे जागे। ।  बियांय  का न पजांय का  बरदाँय का आगे आगे। ।    हेमराज हंस == मैहर