सोमवार, 14 सितंबर 2015

सोमवार, 7 सितंबर 2015

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : सलेण्डर के आगी मा राख नही निकरै।

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : सलेण्डर के आगी मा राख नही निकरै।: मुक्तक  सलेण्डर के आगी मा राख नही निकरै।  बर्रइया के छतना  मा लाख नही निकरै। ।  जनता कराहा थी भ्रष्टाचार से  औ नेतन के मुँह से भाख...

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : मुक्तक राजनीत का  जलसा देखा। बिन बाती का  कलशा  दे...

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : मुक्तक राजनीत का  जलसा देखा। बिन बाती का  कलशा  दे...: मुक्तक  राजनीत का  जलसा देखा।  बिन बाती का  कलशा  देखा। ।  ''डेंगू'' का उपचार कइ रहा  मन मा सुलगत करसा देखा   हेम...

मुक्तक 

राजनीत का  जलसा देखा। 
बिन बाती का  कलशा  देखा। । 
''डेंगू'' का उपचार कइ रहा 
मन मा सुलगत करसा देखा  
हेमराज हंस 

सलेण्डर के आगी मा राख नही निकरै।

मुक्तक 

सलेण्डर के आगी मा राख नही निकरै। 
बर्रइया के छतना  मा लाख नही निकरै। । 
जनता कराहा थी भ्रष्टाचार से 
औ नेतन के मुँह से भाख नही निकरै। । 
हेमराज हंस  

गुरुवार, 3 सितंबर 2015

 बात ये  मायने रखती है की दृष्टि पुजारी सी है य शिकारी सी 

महाभारत मा शिखण्डी से काम परा थै। ।

मुक्तक 

राज पथ का पगडण्डिव से  काम परा थै। 
महाभारत मा शिखण्डिव  से काम परा थै। । 
तुम हमरे टटबा कै तउहीनी न करा 
गाँव मा बोट के मंडीव  से काम परा  थै। । 
हेमराज हंस   

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : hemraj hans कुम्हार के माटी मा कांकर नही होय।

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : hemraj hans कुम्हार के माटी मा कांकर नही होय।: मुक्तक  कुम्हार के माटी मा कांकर नही होय।  जनता कुरसी कै चाकर नही होय।। उई बहुरूपियन का जाके बता द्या  समय के केमार मा सॉकर नही हो...

हेमराज हंस

राजनीत के धन्धा मा फायदा रहा थै। 
मूंठी मा कानून कायदा रहा थै। । 

हेमराज हंस 

hemraj hans कुम्हार के माटी मा कांकर नही होय।

मुक्तक 

कुम्हार के माटी मा कांकर नही होय। 
जनता कुरसी कै चाकर नही होय।।
उई बहुरूपियन का जाके बता द्या 
समय के केमार मा सॉकर नही होय। । 
हेमराज हंस