बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : सलेण्डर के आगी मा राख नही निकरै।: मुक्तक सलेण्डर के आगी मा राख नही निकरै। बर्रइया के छतना मा लाख नही निकरै। । जनता कराहा थी भ्रष्टाचार से औ नेतन के मुँह से भाख...
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सोमवार, 7 सितंबर 2015
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : मुक्तक राजनीत का जलसा देखा। बिन बाती का कलशा दे...
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : मुक्तक राजनीत का जलसा देखा। बिन बाती का कलशा दे...: मुक्तक राजनीत का जलसा देखा। बिन बाती का कलशा देखा। । ''डेंगू'' का उपचार कइ रहा मन मा सुलगत करसा देखा हेम...
सलेण्डर के आगी मा राख नही निकरै।
मुक्तक
सलेण्डर के आगी मा राख नही निकरै।
बर्रइया के छतना मा लाख नही निकरै। ।
जनता कराहा थी भ्रष्टाचार से
औ नेतन के मुँह से भाख नही निकरै। ।
हेमराज हंस
गुरुवार, 3 सितंबर 2015
महाभारत मा शिखण्डी से काम परा थै। ।
मुक्तक
राज पथ का पगडण्डिव से काम परा थै।
महाभारत मा शिखण्डिव से काम परा थै। ।
तुम हमरे टटबा कै तउहीनी न करा
गाँव मा बोट के मंडीव से काम परा थै। ।
हेमराज हंस
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : hemraj hans कुम्हार के माटी मा कांकर नही होय।
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : hemraj hans कुम्हार के माटी मा कांकर नही होय।: मुक्तक कुम्हार के माटी मा कांकर नही होय। जनता कुरसी कै चाकर नही होय।। उई बहुरूपियन का जाके बता द्या समय के केमार मा सॉकर नही हो...
hemraj hans कुम्हार के माटी मा कांकर नही होय।
मुक्तक
कुम्हार के माटी मा कांकर नही होय।
जनता कुरसी कै चाकर नही होय।।
उई बहुरूपियन का जाके बता द्या
समय के केमार मा सॉकर नही होय। ।
हेमराज हंस
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