मंगलवार, 2 जून 2015

व्यवसायिक साझेदार हों जहां विपक्ष के लोग।

मुक्तक 

व्यवसायिक साझेदार हों जहां विपक्ष के लोग। 
दूर करेंगे खाक वे भ्रष्टाचार का रोग। । 
 भ्रष्टाचार का रोग पनपता गहरी जड़ में। 
जैसे लगता जंग बन्धु लोहे के छड़ में। । 
नाटक देखो कोस रहे वो पकड़ के माइक। 
सिद्धान्तों की बलि लेता है हित व्यवसायिक। । 
हेमराज हंस --9575287490 

शनिवार, 30 मई 2015

BAGHELI SAHITYA: गूंजे मइहर धाम में स्वस्ति ऋचा श्लोक।

BAGHELI SAHITYA: गूंजे मइहर धाम में स्वस्ति ऋचा श्लोक।:  दोहा  गूंजे मइहर धाम में स्वस्ति ऋचा श्लोक।  गद्गद है माँ शारदा पुलकित तीनों लोक। ।  हेमराज हंस ---9575287490

BAGHELI SAHITYA: मैहर के उन लाडलों का शत शत आभार। ।

BAGHELI SAHITYA: मैहर के उन लाडलों का शत शत आभार। ।: ---------- दोहा  जिनके अथक प्रयास से स्वप्न हुआ साकार।  मैहर के उन लाडलों का शत शत आभार। ।  हेमराज हंस --9575287490

मैहर के उन लाडलों का शत शत आभार। ।

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दोहा 
जिनके अथक प्रयास से स्वप्न हुआ साकार। 
मैहर के उन लाडलों का शत शत आभार। । 
हेमराज हंस --9575287490 

गूंजे मइहर धाम में स्वस्ति ऋचा श्लोक।

 दोहा 

गूंजे मइहर धाम में स्वस्ति ऋचा श्लोक। 
गद्गद है माँ शारदा पुलकित तीनों लोक। । 
हेमराज हंस ---9575287490 

पवन मैहर धाम का एक धवल सोपान।

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पवन मैहर धाम का एक धवल सोपान।
विद्यालय श्री वेद का वाणी का यश गान। । 
हेमराज हंस 

गुरुवार, 28 मई 2015

गद्दार का साहब देस भक्त का हिटलर

बघेली 

गद्दार का साहब देस भक्त का हिटलर 
वाह फलाने वाह। 
अपना कै या चमचागिरी 
कर देई देस तबाह। । 
हेमराज हंस 

BAGHELI SAHITYA: दोहा लेखनी जब करने लगी कागद लहू लुहान। ब्रह्म शब्द...

BAGHELI SAHITYA: दोहा लेखनी जब करने लगी कागद लहू लुहान। ब्रह्म शब्द...: दोहा  लेखनी जब करने लगी कागद लहू लुहान।  ब्रह्म शब्द तक रो पड़ा धरा रह गया ज्ञान। ।           हेमराज हंस --9575287490

hemraj hans -जनगण से गुर्राये तो फिर रगड़ो गे नाक। ।

कुण्डलियाँ 

जनता से बड़ कर नही लोकतंत्र में धाक। 
जनगण से गुर्राये तो फिर रगड़ो गे नाक। । 
फिर  रगड़ोगे   नाक   घूमते   रैली  रैली। 
एक  बार  छवि यदि  हो  जाये  मटमैली।।
''हंस'' खेलने लगती है फिर वह गुड़गंता। 
लोकतंत्र  में  सर्वोपरि  होती  है  जनता।।
हेमराज हंस --9575287490   

काहू के है गहगड्डव ता काहू केर बरसी ही।

मुक्तक 

काहू  के है गहगड्डव ता काहू केर  बरसी ही। 
कोउ धांधर खलाये है काहू कै टाठी परसी ही। । 
कक्का हक्का बक्का हें उनखर देख करदसना  
जनता के निता गुंडई औ मंहगाई कै बरछी ही। । 
हेमराज हंस