मंगलवार, 19 मई 2015

देश को नेता नही अब तो मेहतर चाहिये। ।

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ये क्या इससे और भी ब्यवस्था बेहतर चाहिये। 
देश को नेता नही अब तो मेहतर चाहिये। । 
जो उठा सके भ्रष्टाचार जैसी गन्दगी 
जनता के साथ चलने वाला सहचर चाहिये 

शनिवार, 16 मई 2015

कविता मेरी मानस पुत्री है

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कविता मेरी मानस पुत्री है मै इसे शब्दों से सजा कर 
समाज रूपी ससुराल के लिये विदा कर देता हूँ। 
'केदारनाथ अग्रवाल ''

शुक्रवार, 15 मई 2015

परीक्षा मा फेल पप्पू जना थें।

मुक्तक 

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परीक्षा मा फेल पप्पू जना थें। 
फलाने का आला टप्पू जना थें। । 
पुरखा घी खाइन उँगरी आपन सुघाउथें 
पुन्नेठी बतांय का गप्पू जना थें। । 
 हेमराज हंस 

गुरुवार, 14 मई 2015

जब बादल को खतरा वे बताते है मोर से। ।

मुक्तक 

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टीस उठती है तन के पोर पोर से। 
जब बादल को खतरा वे बताते है मोर से। । 
ये मेरे देश की विडंबना है दोस्तो 
हम देश भक्ति सीखते है भष्टों से  चोर से।।
हेमराज हंस ----9575287490  

बुधवार, 13 मई 2015

घंटाघर कस घडी नसान रहत्या है। ।

मुक्तक 

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जब देखा तब रिसान रहत्या है। 
घंटाघर कस घडी नसान रहत्या है। । 
पहिले अस प्रेम अपना का फसफसाय नही 
घुटकी भर पी के बसान रहत्या है। । 
हेमराज हंस 

पंडित दीनदयाल का बिखरे न अभियान। ।

दोहा 

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चाहे ये सत्ता रहे या कि और  विधान। 
पंडित दीनदयाल का बिखरे न अभियान। । 
हेमराज हंस 

आंसू क्रंदन का यहां मत कीजै व्यापार।

दोहा 

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आंसू क्रंदन का यहां मत कीजै व्यापार। 
अन्य दिशा में मोड़िये राजनीति की धार। । 
हेमराज हंस 

लकड़ी से दीमक की सहानुभूति देखिये

मुक्तक 

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कोठी मढ़ैया से यारी कर रही है। 
लगता है चुनाव की तैयारी कर रही है। । 
लकड़ी से दीमक की सहानुभूति देखिये 
खोखला कर के चित्रकारी  कर रही है। । 
हेमराज हंस               9575287490 baghelisahitya

मंगलवार, 12 मई 2015

पेटे मा दाना नही मुंह मा दाबे पान। ।

दोहा 

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हमरे हियाँ गरीब कै अजब निराली शान। 
पेटे मा दाना नही मुंह मा दाबे पान। । 
हेमराज हंस 

BAGHELI SAHITYA: ऐतिहासिक तारीखों के कैलेंडर रो रहे है।

BAGHELI SAHITYA: ऐतिहासिक तारीखों के कैलेंडर रो रहे है।: मुक्तक -------------------------------------- ऐतिहासिक तारीखों के कैलेंडर रो रहे है।  घोटालों के फरार जुर्मी सलेण्डर हो रहे है। ...