सोमवार, 20 अप्रैल 2015

BAGHELI SAHITYA: ज्याखर लड़िका ढंग से पढ़ि न सका स्कूल।

BAGHELI SAHITYA: ज्याखर लड़िका ढंग से पढ़ि न सका स्कूल।: दोहा  ज्याखर लड़िका ढंग से पढ़ि न सका स्कूल।  वा  तोहरे अत्याचार का सकी न हरबी भूल। ।     हेमराज हंस ----9575287490

युग नायक होते नही किसी जाति में कैद।

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देश वासियो को'' अकती पर्व''की हार्दिक शुभ कामना। 
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युग नायक होते नही किसी जाति में कैद। 
वे बीमार समाज के हैं शुभ चिंतक वैद। ।  
हेमराज हंस -------९५७५२८७४९० 

अहिल्या पुनः पाषाण होना चाहती है।

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मुक्तक लोक 
मुक्तक मेला --45 --शब्द मुक्तक -पत्थर /पाहन /पाषाण
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अहिल्या पुनः पाषाण होना चाहती है। 
पुरंदर कुदृष्टि का समाधान होना चाहती है। । 
काश   ये समाज जो सम्मान कर सके 
हर नारी आन वान और शान होना चाहती है। । 
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हेमराज हंस 

शनिवार, 18 अप्रैल 2015

ज्याखर लड़िका ढंग से पढ़ि न सका स्कूल।

दोहा 

ज्याखर लड़िका ढंग से पढ़ि न सका स्कूल। 
वा  तोहरे अत्याचार का सकी न हरबी भूल। ।
    हेमराज हंस ----9575287490 

BAGHELI SAHITYA: दुनिया भर में जब कभी ठगा गया श्रम स्वेद ।

BAGHELI SAHITYA: दुनिया भर में जब कभी ठगा गया श्रम स्वेद ।: दोहा  दुनिया भर में जब कभी ठगा गया श्रम  स्वेद ।  जला   गयीं   आहें उसे सभी कवच को भेद। ।            हेमराज हंस ----9575287490  ...

दुनिया भर में जब कभी ठगा गया श्रम स्वेद ।

दोहा 

दुनिया भर में जब कभी ठगा गया श्रम  स्वेद । 
जला   गयीं   आहें उसे सभी कवच को भेद। । 
          हेमराज हंस ----9575287490 


BAGHELI SAHITYA: ब्रह्म शब्द तक रो पड़ा धरा रह गया ज्ञान। ।

BAGHELI SAHITYA: ब्रह्म शब्द तक रो पड़ा धरा रह गया ज्ञान। ।: दोहा  लेखनी जब करने लगी कागद लहू लुहान।  ब्रह्म शब्द तक रो पड़ा धरा रह गया ज्ञान। ।           हेमराज हंस --9575287490

ब्रह्म शब्द तक रो पड़ा धरा रह गया ज्ञान। ।

दोहा 

लेखनी जब करने लगी कागद लहू लुहान। 
ब्रह्म शब्द तक रो पड़ा धरा रह गया ज्ञान। । 
         हेमराज हंस --9575287490 

BAGHELI SAHITYA: जहां पसीने की हुई नामूजी तौहीन।

BAGHELI SAHITYA: जहां पसीने की हुई नामूजी तौहीन।: दोहा  जहां   पसीने   की   हुई   नामूजी    तौहीन।  वहां कभी बजती नही सुक्ख शांति की बीन। ।             हेमराज हंस --9575287490  

जहां पसीने की हुई नामूजी तौहीन।

दोहा 

जहां   पसीने   की   हुई   नामूजी    तौहीन। 
वहां कभी बजती नही सुक्ख शांति की बीन। ।
            हेमराज हंस --9575287490