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सोमवार, 30 सितंबर 2024

मइहर जिला शारद नगरी।

    मैहर जिला 

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मइहर  जिला  शारद  नगरी। 

जेखर  कीरती  जग   बगरी।। 


पहिलय पूजा करै नित आल्हा।

रोज   चढ़ाबै   फूल औ माला ।। 

राम सखा जू का आश्रम पाबन। 

ओइला  गोलामठ  पबरित मन।।

गोपाल बाग  औ राम बाग मा। 

पहुंचै  वहै   है  जेखे  भाग  मा ।। 

हनुमत  कुंज भदन पुर  बाले।

हें  कैमोर  पहार   के     खाले। । 

श्री सिद्ध बाबा  मऊ  डोंगरी ।।

मइहर  जिला   शारद नगरी।


श्रद्धा  श्रम  संगीत   का   संगम । 

किहन अगस्तव  का स्वागत हम ।।

 भै  नहीं   झुकेही   केर   समीक्षा। 

जहां दिहिन अगस्त विंध्य का दीक्षा।।  

बाणासुर  का  हिअय  मनाउरा। 

गाँव  गाँव  मा  खेर  का चउरा ।।

चउकी  चटकउला  चपना के। 

हनुमत  कष्ट  हरैं  अपना   के।।

गाँव करसरा  कालका काली। 

दुर्गा    मइया   बछरा   बाली ।।

जहाँ भक्ती कै कलश बनै गगरी। 

मइहर  जिला   शारद   नगरी। । 


खजुरी ताल का मंदिर भइया। 

पोंड़ी धाम मा  होय समइया ।।

मुकुंदपुर का इतिहास पुरातन। 

 जहाँ जगन्नाथ  जू स्वयं सनातन।। 

हुअय  बना  है  शेर   सफारी। 

अपने  बिंध कै बना चिन्हारी।। 

पपरा मा   श्री  राम  दूत हैं । 

रामनगर मा  गिद्ध कूट हैं ।। 

मार्कण्डेय कै  आश्रमधानी। 

बाणभट्ट का  सुमिरै  बानी।।  

बाणसागर करै जहाँ पैपखरी।

मइहर जिला शारद नगरी।  

  हेमराज हंस भेड़ा 

रविवार, 29 सितंबर 2024

बहिनी बिटिआ पी रहीं,

 भइंसासुर का पाप है, देस मा चारिव खूंट।

बहिनी बिटिआ पी रहीं, नित अपमान का घूंट।।

हे महिसासुर मर्दनी, अपनै से एक आस।
अत्याचारिन का करा, तुक तुक हरबी नास।।
नारी सूचक गालियां दिन भर देते साठ।
वे भी सादर कर रहे दुर्गा जी का पाठ।।

शुक्रवार, 20 सितंबर 2024

पबरित परसाद भंडासराध कइ रहे हें।।

जे मंदिर कै हमरे खंडित मरजाद कइ रहे हें। 
पबरित   परसाद    भंडासराध   कइ  रहे  हें।। 
उनहीं   पकड़  के  सीधे  सूली  मा  टांग  द्या 
हमरे  धरम के साथ जे अपराध   कइ  रहे  हें।। 
हेमराज हंस -भेड़ा मैहर 

मंगलवार, 10 सितंबर 2024

ता दारू बेचत पकड़ गा दूध के लाइसेंस मा।।

 अबहूँ   कउनव   सक  है   हमरे  सेन्स   मा। 
उइ     कोरेक्स   ढो   रहे  हें   एम्बुलेंस  मा।। 
ओखे  डब्बा  कै  जब  तलासी    लीन   गै 
ता दारू बेचत पकड़ गा दूध के लाइसेंस मा।।  
हेमराज हंस 

शुक्रवार, 6 सितंबर 2024

जबसे उंइ डेहरी चढ़ीं ,

 हाथे मा मेंहदी रची , कर स्वारा सिगार।
गउरी पूजैं का चली ,सजी सनातन नार। ।

खूब फलिहाइस रात भर, दिन निर्जला उपास। 
देखा  भारतीय  प्रेम के ,  अंतस  केर मिठास ।। 

जबसे उंइ डेहरी चढ़ीं ,  छूट हिबय सरफूंद ।  
हमरे  जीबन के  दिहिन , सगले अबगुन मूंद।।    
हेमराज हंस