गुरुवार, 30 नवंबर 2023

(दुर्गा मंत्र) MANGLACHARAN

वक्र तुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ:।
निर्विघ्नं कुरु मे देव शुभ कार्येषु सर्वदा ॥

गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारु भक्षणम्ं ।
उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम् ॥

प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम् ।
भक्तावासं स्मरेन्नित्यं आयुःकामार्थसिद्धये ॥

वर्णानामर्थसंघानां रसानां छन्दसामपि ।

मङ्गलानां च कर्त्तारौ वन्दे वाणीविनायकौ ॥

 भावार्थ :

गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः ।

 गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ॥


सर्वमङ्गलमङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके। 

शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते ॥

 जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी ।

 दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते ॥

सरस्वति महाभागे विद्ये कमललोचने ।

 विद्यारूपे विशालाक्षि विद्यां देहि नमोऽस्तु ते ॥


बुद्धिं देहि यशो देहि कवित्वं देहि देहि मे ।

 मूढत्वं च हरेद्देवि त्राहि मां शरणागतम् ॥

जडानां जडतां हन्ति भक्तानां भक्तवत्सला ।

 मूढ़ता हर मे देवि त्राहि मां शरणागतम् ॥

देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्। 

रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥

या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता । 

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या कुंदेंदुतुषारहार धवला, या शुभ्र वस्त्रावृता ।

 या वीणावरदण्डमंडितकरा, या श्वेतपद्मासना ॥ 

या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभ्रृतिभिर्देवै: सदा वन्दिता ।

 सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेष जाड्यापहा ॥

शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमामाद्यां जगद्व्यापिनीं । 

वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धाकारापाहां ॥

 हस्ते स्फाटिक मालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम । 

वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदां ॥


देवि प्रपन्नार्तिहरे प्रसीद प्रसीद मातर्जगतोऽखिलस्य । 

प्रसीद विश्वेश्वरि पाहि विश्वं त्वमीश्वरी देवि चराचरस्य ॥

नमस्तेस्तु महामायें श्रीपीठे सुरपूजिते ।

 शंख्चक्ररादाह्स्ते महालक्ष्मी नमस्तु ते ॥

सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि ।

 मन्त्रपूते सदा देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥


कुकर्मी कुसङ्गी कुबुद्धि: कुदासः

 कुलाचारहीन: कदाचारलीन: |

 कुदृष्टि: कुवाक्यप्रबन्धः सदाहं 

गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥


वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम् ।

 देवकी परमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम् ॥

वृन्दावनेश्वरी राधा कृष्णो वृन्दावनेश्वरः। 

जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम ॥

 भावार्थ :


शुभं करोति कल्याणं आरोग्यं धनसंपद: ।

 शत्रुबुध्दिविनाशाय दीपजोतिर्नामोस्तुते ॥

ॐ असतो मा सद्गमय तमसो मा ज्योतिर्गमय, मॄत्योर्मा अमॄतं गमय ॥

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् 

उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥



 भावार्थ :

मंगलवार, 28 नवंबर 2023

पायल कै झंकार

 अबै गरीबन के लगी टप टप अंसुअन धार।

अइसा मा कइसा लिखी पायल कै झंकार।।

बोटन का बेउहार।

 रहा गरीबन से सदा बोटन का बेउहार।

दूबर कै एकादशी मोटन का तेउहार।।

सौ प्रतिशत मतदान

 जनता के हाथे हबइ लोकतंत्र का मान।

चला चली सब जन करी सौ प्रतिशत मतदान।।

शनिवार, 11 नवंबर 2023

अबस करी मतदान

 अपना से बिनती हिबै, अबस करी मतदान।

लोकतंत्र के जग्ग का , सादर राखी मान।।

नेतन मा वात्सायन देखा

 प्रगतिशील का आयन देखा।

राजनीत मा रसायन देखा।।
बेशरमी तक शरमिंदा ही
नेतन मा वात्सायन देखा।।

दीपावली

 अपना का शुभकामना, सादर करी उराव।

धन नेतन के नाव है, तेरस अपने नाव।।
हेमराज हंस