मंगलवार, 2 फ़रवरी 2016

बरदाँय का आगे आगे। । HEMRAJ HANS

 बघेली मुक्तक 
काहे बगत्या भूखे लांघे। 
रात रात उस्नीधे जागे।। 
बियांय  का न पजांय का 
बरदाँय का आगे आगे। ।   
हेमराज हंस == मैहर 

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