कुरथा जेखे नाप का है।
देस ओखे बाप का है।।
अपना के हांथे मा बोट
धन्ना सेठन के निता गर्मी बरखा जाड़।
हमही एक मउसम हबै रोटी केर जुगाड़। ।
कउड़ा के नियरे संघर अपना सेकी देह।
हम धांधर के आग का लिखी उरेह उरेह।।
फसलन मा पाला लगा परी ठंड कै मार।
भितरघात मउसम करै खेत कहै आभार।।
अपना के तेल मा खरी अस जनाथी।
या सम्बेदना मसखरी अस जनाथी।।
जे डबल रोटी का कलेबा करा थें
उनही अगाकर जरी अस जना थी। ।