रविवार, 14 अगस्त 2022

बघेली मुक्तक

घर घर मा फहरान तिरंगा, अमरित परब अजादी के। 
होइगे पछत्तर बरिस देस के सब का गरब अजादी के।। 
बंदेमातरं राष्ट्र मंत्र से गूंज उचा चप्पा चप्पा 
देस बंदना जनगणमन से अस्तुति करब अजादी के।। 

सोमवार, 18 जनवरी 2021

हंस के दोहे

गौरवशाली कुर्सियां, बदमिजाज आसीन।
समझ रहे वे  स्वयं  की,  मेधा  दक्ष  प्रवीन।।

शनिवार, 12 सितंबर 2020

भारत रत्न प्रणव मुखर्जी

पितर पाख

पुरखन के सम्मान का पितर पाख है सार। 
जे हमका जीबन दइन उनखे प्रति आभार।। 

लालू रिसान

चक्की पीसैं के निता लालू धधे रिसान। 
ताकी जनता का मिलै ठाहर सुद्ध पिसान।। 

भांज नही मिलै

अब एक रुपिया कै भांज नही मिलै। 
गिरे के बाद भुंइ मा गाज नही मिलै।। 
उंइ अब चुल्लू भर पानी लये ठाढ हें
पै बूड़ै का अटकर अंदाज नही मिलै।। 

पुरखा

पुरखा हमरे निता घोंसला बनाऊथे। 
रिबाज समाज का हौसला बढ़ाऊथें।। 
हम पुरखन के करतब्ब कै बंदना करी थे 
ता उंई तर्पन सराध का ढकोसला बताऊथें।।