लेबल
- अटल जी
- अटलबिहारी।
- अम्मा
- आचार्य रामाधार शर्मा अनंत जी मैहर
- आदि शंकराचार्य
- कवि मैथलीशरण शुक्ल
- कवि रवि शंकर चौबे
- कविवर रामनरेश तिवारी मैहर
- कुण्डलिया
- खजुलैयां
- खेल
- गोस्वामी तुलसीदास
- ग्राम गौरव
- घटना
- जनम दिन
- जयराम शुक्ल जी
- तीजा
- दशहरा
- दीपाबली
- दीपावली
- दोहा
- नवरात्रि
- परसुराम
- फागुन
- बघेली कविता
- बघेली कुण्डलिया
- बघेली गीत
- बघेली छंद
- बघेली दोहा
- बघेली बाल गीत
- बघेली मुक्तक
- बाबू जी
- भेड़ा
- मतदान
- मुक्तक
- मुक्तक बघेली
- मैहर जिला
- लक्ष्मण सिंह परिहार लगरगवाँ
- लोकरत्न कक्का
- शम्भू काकू
- स्वागत
- हरछठ
- B.J.P.
- bagheli
- bagheli ghajal
- BAGHELI KAVI HEMRAJ HANS BHEDA
- bagheli kavita
- bagheli muktak
- CHITRKOOT KAVI SAMMELAN 14.08.2024
- GANESH PUJAN
- MAIHAR DHAM
- MAIHAR STATE
- sahitya
- SAMMAN PATRA
- SHLOK
रविवार, 13 दिसंबर 2015
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : उइं बड्डे 'धरमराज 'हें जुऑ खेला थें।
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : उइं बड्डे 'धरमराज 'हें जुऑ खेला थें।: उइं बड्डे 'धरमराज 'हें जुऑ खेला थें। परयाबा के खोधइला म सुआ खेला थें। । दुआर से कहि द्या कि सचेत रहैं आज काल्ह केमरा से घुआ ख...
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : बिटिया
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : बिटिया: बिटिया ठुम्मुक ठुम्मुक जाथी स्कूले ड्रेस पहिर के बइया रे। टाँगे बस्ता पोथी पत्रा बिटिया बनी पढ़इया रे। । खेलै...
बिटिया
बिटिया
ठुम्मुक ठुम्मुक जाथी स्कूले ड्रेस पहिर के बइया रे।
टाँगे बस्ता पोथी पत्रा बिटिया बनी पढ़इया रे। ।
टाँगे बस्ता पोथी पत्रा बिटिया बनी पढ़इया रे। ।
खेलै चन्दा, लगड़ी, गिप्पी, गोटी, पुत्ता -पुत्ती ।
छीन भर मा मनुहाय जाय औ छिन भर माही कुट्टी। ।
बिट्टी लल्ला का खिसबाबै ''लोल बटाइया रे''। ।
छीन भर मा मनुहाय जाय औ छिन भर माही कुट्टी। ।
बिट्टी लल्ला का खिसबाबै ''लोल बटाइया रे''। ।
ठउर लगाबै अउजै परसै करै चार ठे त्वारा।
कहू चढ़ी बब्बा के कइयां कहु अम्मा के क्वारा। ।
जब रिसाय ता पापा दाकै पकड़ झोठइया रे।
कहू चढ़ी बब्बा के कइयां कहु अम्मा के क्वारा। ।
जब रिसाय ता पापा दाकै पकड़ झोठइया रे।
बिन बिटिया के अंगना अनमन घर बे सुर कै बंसी।
बिटिया दुइ दुइ कुल कै होतीं मरजादा बड़मंसी। ।
हमरे टोरिअन काही खाये जा थै दइया रे।
बिटिया दुइ दुइ कुल कै होतीं मरजादा बड़मंसी। ।
हमरे टोरिअन काही खाये जा थै दइया रे।
भले नही भइ भये मा स्वाहर पै न माना अभारु।
लड़िका से ही ज्यादा बिटिया ममता भरी मयारू। ।
पढ़ी लिखी ता बन जई टोरिया खुदै सहय्याँ रे।
लड़िका से ही ज्यादा बिटिया ममता भरी मयारू। ।
पढ़ी लिखी ता बन जई टोरिया खुदै सहय्याँ रे।
बुधवार, 9 दिसंबर 2015
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : वा गुलदस्ता मा धरे है गोली बम बारूद।।
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : वा गुलदस्ता मा धरे है गोली बम बारूद।।: ख़बरदार होइ के मिल्या बहुत न मान्या सूध। वा गुलदस्ता मा धरे है गोली बम बारूद। । हेमराज हंस 9575287490
वा गुलदस्ता मा धरे है गोली बम बारूद।।
ख़बरदार होइ के मिल्या बहुत न मान्या सूध।
वा गुलदस्ता मा धरे है गोली बम बारूद।।
हेमराज हंस 9575287490
वा गुलदस्ता मा धरे है गोली बम बारूद।।
हेमराज हंस 9575287490
Labels:
दोहा
Location:
Maihar, Madhya Pradesh 485771, India
शुक्रवार, 4 दिसंबर 2015
उइं बड्डे 'धरमराज 'हें जुऑ खेला थें।
उइं बड्डे 'धरमराज 'हें जुऑ खेला थें।
परयाबा के खोधइला म सुआ खेला थें। ।
दुआर से कहि द्या कि सचेत रहैं
आज काल्ह केमरा से घुआ खेला थें। ।
हेमराज हंस
परयाबा के खोधइला म सुआ खेला थें। ।
दुआर से कहि द्या कि सचेत रहैं
आज काल्ह केमरा से घुआ खेला थें। ।
हेमराज हंस
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : जेही सब मानत रहें सबसे जादा सूध।
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : जेही सब मानत रहें सबसे जादा सूध।: बघेली दोहा जेही सब मानत रहें जादा निकहा सूध । ओखे डब्बा म मिला सबसे पनछर दूध। । हेमराज हंस ==
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : 'नल तरंग 'बजाउथें बजबइया झांझ के।
बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : 'नल तरंग 'बजाउथें बजबइया झांझ के।: 'नल तरंग 'बजाउथें बजबइया झांझ के। देस भक्ति चढ़ा थी फलाने का साँझ के। । ''वीर पदमधर ''का य पीढ़ी नही जानै ओख...
हम कविता लिखय का व्याकरण नही बांची।
हम कविता लिखय का व्याकरण नही बांची।
काहू का लिहाज औ आकरन नही बाँची। ।
हम देखी थे समाज के आँसू औ पीरा
छंद लिखय का गण चरण नही बाँची। ।
हेमराज हंस ===
जेही सब मानत रहें सबसे जादा सूध।
बघेली दोहा
जेही सब मानत रहें जादा निकहा सूध।
ओखे डब्बा म मिला सबसे पनछर दूध।।
हेमराज हंस ==
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
-
मैहर जिला ---------------------------------- मइहर जिला शारद नगरी। जेखर कीरती जग बगरी।। पहिलय पूजा करै नित आल्हा। रोज चढ़ाबै ...
-
बघेली कविता हम सरबरिया बांम्हन आह्यन मिलब सांझ के हउली मां। मरजादा औ धरम क ब्वारब, नदिया नरबा बउली मां॥ होन मेल जोल भाईचारा कै, ...