शुक्रवार, 4 दिसंबर 2015

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : जेही सब मानत रहें सबसे जादा सूध।

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : जेही सब मानत रहें सबसे जादा सूध।: बघेली दोहा  जेही सब मानत रहें जादा निकहा सूध । ओखे डब्बा म मिला सबसे  पनछर  दूध। । हेमराज हंस ==

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : 'नल तरंग 'बजाउथें बजबइया झांझ के।

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : 'नल तरंग 'बजाउथें बजबइया झांझ के।: 'नल तरंग 'बजाउथें बजबइया झांझ के।  देस भक्ति चढ़ा थी फलाने का साँझ के।  ।  ''वीर पदमधर ''का य पीढ़ी नही जानै  ओख...

हम कविता लिखय का व्याकरण नही बांची।

हम कविता लिखय का व्याकरण नही बांची। 
काहू का लिहाज   औ  आकरन नही बाँची। । 
हम देखी थे समाज के आँसू औ पीरा 
छंद लिखय का गण चरण नही बाँची। । 
हेमराज हंस ===

जेही सब मानत रहें सबसे जादा सूध।

बघेली दोहा 

जेही सब मानत रहें जादा निकहा सूध
ओखे डब्बा म मिला सबसे  पनछर  दूध।
हेमराज हंस ==

गुरुवार, 3 दिसंबर 2015

'नल तरंग 'बजाउथें बजबइया झांझ के।

'नल तरंग 'बजाउथें बजबइया झांझ के। 
देस भक्ति चढ़ा थी फलाने का साँझ के। । 
''वीर पदमधर ''का य पीढ़ी नही जानै 
ओखे बस्ता म हें किस्सा हीर राँझ के।
पूंछी अपना बपुरी से कि कइसा जी रही 
जेही कोऊ गारी दइस होय बाँझ के। । 
उनही ईमानदार कै उपाधि दीन गै 
जे आँधर बैल बेंच दइन काजर आंज के। । 
हंस य कवित्त भर से काम न चली 
चरित्त का चमकाबा पहिले माँज माँज के। । 
हेमराज हंस ---   

बुधवार, 2 दिसंबर 2015

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : लूट लूट बखरी बनाये रहा नेता जी। ।

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : लूट लूट बखरी बनाये रहा नेता जी। ।: योजना के तलबा म घूँस का उबटन लगाये , भ्रष्टाचार पानी म नहाये रहा नेता जी।  चमचागीरी के टठिया म बेईमानी का व्यंजन धरे  मानउता का मूरी अस ...

लूट लूट बखरी बनाये रहा नेता जी। ।

योजना के तलबा म घूँस का उबटन लगाये ,
भ्रष्टाचार पानी म नहाये रहा नेता जी। 
चमचागीरी के टठिया म बेईमानी का व्यंजन धरे 
मानउता का मूरी अस खाये रहा नेता जी।। 
गरीबन के खून काही पानी अस बहाये रहा 
टेंटुआ लोकतंत्र का दबाये रहा नेता जी। 
को जानी भभिस्स माही मौका पउत्या है कि धोखा 
लूट लूट बखरी बनाये रहा नेता जी। । 
हेमराज हंस ======

मंगलवार, 1 दिसंबर 2015

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : हाँ हजूर हम दुइ कउड़ी के पै अपना कस नीच नही।

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : हाँ हजूर हम दुइ कउड़ी के पै अपना कस नीच नही।: हाँ हजूर हम दुइ कउड़ी के पै अपना कस नीच नही।  छर छंदी के जीवन बाले माया मृग मारीच नही। ।  भले मशक्कत कै जिदगानी छान्ही तरी गुजारी थे  हमी...

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : वा तोहरे बोलिआय का भउजाई आय नेता जी । ।

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : वा तोहरे बोलिआय का भउजाई आय नेता जी । ।: उइ कहा थें देस से गरीबी हम भगाय देब  गरीबी य देस कै लोगाई आय नेता जी।  गरीबी भगाय के का खुदै तू पेटागन मरिहा  वा तोहई पालै निता बाप माई ...

वा तोहरे बोलिआय का भउजाई आय नेता जी । ।

उइ कहा थें देस से गरीबी हम भगाय देब 
गरीबी य देस कै लोगाई आय नेता जी। 
गरीबी भगाय के का खुदै तू पेटागन मरिहा 
वा तोहई पालै निता बाप माई आय नेता जी। । 
गरीबी के पेड़ का मँहगाई से तुम सींचे रहा 
तोहरे निता कल्प वृक्ष नाइ आय नेता जी। 
भाषन के कवीर से अस्वासन के अवीर से 
वा तोहरे बोलिआय का भउजाई आय नेता जी । । 
हेमराज हंस