शनिवार, 12 सितंबर 2020

भारत रत्न प्रणव मुखर्जी

पितर पाख

पुरखन के सम्मान का पितर पाख है सार। 
जे हमका जीबन दइन उनखे प्रति आभार।। 

लालू रिसान

चक्की पीसैं के निता लालू धधे रिसान। 
ताकी जनता का मिलै ठाहर सुद्ध पिसान।। 

भांज नही मिलै

अब एक रुपिया कै भांज नही मिलै। 
गिरे के बाद भुंइ मा गाज नही मिलै।। 
उंइ अब चुल्लू भर पानी लये ठाढ हें
पै बूड़ै का अटकर अंदाज नही मिलै।। 

पुरखा

पुरखा हमरे निता घोंसला बनाऊथे। 
रिबाज समाज का हौसला बढ़ाऊथें।। 
हम पुरखन के करतब्ब कै बंदना करी थे 
ता उंई तर्पन सराध का ढकोसला बताऊथें।। 

अम्मा

अम्मा अपने आप मा सबसे पाबन ग्रंथ। 
माता से बढि के नही कउनौ ज्ञानी पंथ।। 

हिन्दी

बपुरी आज बसिन्दी होइगै। 
फाट के चिन्दी चिन्दी होइगै।। 
बिना काज  कै महतारी अस 
भासारानी  हिन्दी होइगै।। 

यूरिया गोल!!

काहू का घंटा बजै औ काहू का ढोल। 
पै किसान के खेत से होइगै यूरिया गोल।।