बुधवार, 22 अप्रैल 2020

फलाने कहाथें

फलाने कहाथें कि रबइया ठीक नहीं। 
कुरसी का दोख है कि  बइठइया ठीक नहीं।। 
अमाबस के रात मा उंइ हेरात हें चांदनी 
औ ऊपर से कहा थें कि जोंधइया ठीक नहीं।। 

रविवार, 5 अप्रैल 2020

हे माधव मधुसूदन मोहन

हे माधव मधुसूदन मोहन नटवर कृष्ण कन्हैया। पुनः अवतरो आर्य अवनि में आकांक्षित भारत मैया।। 

कंस पातकी दंश से अपने करता धर्म विध्वंस। 
वसुदेव देवकी सी जनता है त्रस्त यहां यदुवंश।। 
शिशुपाल स्वर ताल मिला कर पुनः दे रहा गारी। 
पुनः काटिये उसकी गर्दन चक्र सुदर्शन धारी।। वंचक विष के वचन बोल कर बजबा रहा बधैया।। 
हे माधव मधुसूदन मोहन नटवर कृष्ण कन्हैया।। 

जो वलिष्ट औ शिष्ट बनाती निज विशिष्ट पय से। 
वो परम पूज्य गौ माता सहमी बूचड़ के भय से।। 
भारत माता सी वंदनीय जो गाय रही गोपाल। 
उसी देश की माटी में होती है गऊ हलाल।। 
रभा रभा कर तुम्हें टेरती वही तुम्हारी गैया।
हे माधव मधुसूदन...........  .....................।।

सड़कों मे लुट रही द्रोपदी करे आप से अर्ज। 
 कटी अनामिका की पट्टी  का पुनः उतारो कर्ज।। 
दामों मे बिक गया सुदामा बन वैभव का दास। कर्म योग वैराग्य ज्ञान की आके रचाओ रास।। 
फिर से प्रीत पुनीत जगा दो गा के ता ता थैया।।
हे माधव मधुसूदन........................    ......।।